________________
साध्वी मोक्षरत्ना श्री
यतिसामाचारी -
वि.स. १४१२ में पार्श्वनाथ-चरित्र के रचयिता श्री भावदेवसरि ने यतिसामाचारी (यतिदिनचर्या) का संकलन किया है।०६ इस ग्रन्थ में १५४ गाथाएँ हैं। आचारदिनकर की भाँति ही इसमें भी जैन-साधुओं की दिनचर्या में प्रभातकालीन-जागरण से लेकर संस्तारक तक की विधि का उल्लेख मिलता है। वर्धमानसूरिकृत आचारदिनकर
इस कृति के कर्ता रुद्रपल्ली शाखा के अभयदेवसूरि (तृतीय) के शिष्य वर्धमानसूरि हैं। यह कृति संस्कृत एवं प्राकृत-भाषा में निबद्ध है। इस ग्रन्थ का श्लोक-परिमाण १२५०० है। इस कृति का रचनाकाल वि.स.-१४६८ है। इस ग्रन्थ में गृहस्थ, मुनि एवं गृहस्थ तथा मुनि के आचार सम्बन्धी विधि-विधानों का उल्लेख किया गया है। यह ग्रन्थ दो भागों में विभक्त है। इसमें कुल चालीस उदय या अध्ययन हैं। प्रथम खण्ड में गृहस्थ के षोडश संस्कारों का एवं मुनिजीवन के षोडश संस्कारों का उल्लेख है तथा दूसरे खण्ड में गृहस्थ एवं मुनि द्वारा किए जाने वाले आठ सामान्य विधि-विधानों की चर्चा है।
प्रस्तुत कृति के ४० उदयों में जिन विधि-विधानों की चर्चा है, उनके नाम इस प्रकार हैं(अ) गृहस्थ के षोडश संस्कार (ब) मुनि के षोडश संस्कार(स) मुनि एवं गृहस्थ सम्बन्धी आठ संस्कार १. गर्भाधान-संस्कार १. ब्रह्मचर्यव्रत-ग्रहण-विधि १. प्रतिष्ठा-विधि २. पुंसवन-संस्कार २. क्षुल्लक-विधि
२. शान्तिक-कर्म ३. जातकर्म-संस्कार ३. प्रव्रज्या-विधि
३. पौष्टिक-कर्म ४. सूर्य-चन्द्रदर्शन-संस्कार ४. उपस्थापना-विधि ४. बलिविधान ५. क्षीराशन-संस्कार ५. योगोद्वहन-विधि ५. प्रायश्चित्त-विधि ६. षष्ठी-संस्कार
६. वाचनाग्रहण-विधि ६. आवश्यक-विधि ७. शुचिकर्म-संस्कार ७. वाचनानुज्ञा-विधि
७. तप-विधि ८. नामकरण-संस्कार ५. उपाध्याय-पदस्थापन-विधि ८. पदारोपण-विधि ६. अन्नप्राशन-संस्कार ६. आचार्य-पदस्थापन-विधि
१०६ यतिसामाचारी, (यतिदिनचर्या), विजयजिनेन्द्रसूरि, श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला, लाखाबाबल, शांतिपुरी
(सौराष्ट्र), प्रथम संस्करण : १६६७. १०७ आचारदिनकर, वर्धमानसूरिकृत, निर्णयसागर मुद्रालय, बॉम्बे, प्रथम संस्करण : १६२२.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org