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________________ साध्वी मोक्षरला श्री है। यद्यपि मुनि-जीवन के षोडश संस्कारों में वर्णित क्षल्लक एवं प्रव्रज्या-विधि के समतुल्य वानप्रस्थ एवं संन्यासाश्रम का भी उल्लेख मिलता है, किन्तु कुछ वैदिक-विद्वानों ने ही इन्हें संस्कार के रूप में स्वीकार किया है। इसी प्रकार वैदिक-परम्परा के प्राचीन एवं अर्वाचीन ग्रन्थों, यथा-अग्निपुराण, मत्स्यपुराण, नृसिंहपुराण, निर्णयसिंधु, प्रतिष्ठा-महोदधि, प्रतिष्ठा-मयूख, सर्वदेव-प्रतिष्ठा, प्रतिष्ठार्णव आदि में प्रतिष्ठा-विधि आदि का उल्लेख मिलता है। इसी प्रकारकृत्यकल्पतरू, शान्तिमयूख, विष्णुधर्मोत्तर, बृहद्योगयात्रा, आदि में शान्तिक, पौष्टिक-कर्म का भी उल्लेख मिलता है। यद्यपि प्रायश्चित्त एवं तप-विधि का भी वैदिक-परम्पराओं के ग्रन्थों में उल्लेख मिलता है, किन्तु जहाँ तक ज्ञात होता है, प्रतिष्ठा एवं शान्तिक-पौष्टिक-कर्म की भाँति इनका स्वतन्त्र ग्रन्थ के रूप में प्रकाशन नहीं हुआ है। इस प्रकार वैदिक-साहित्य में संस्कार सम्बन्धी प्रचुर सामग्री मिलती है, जो हमारे इस शोध-प्रबन्ध में वैदिक-परम्परा से तुलना करने में सहायभूत रहेगी। दिगम्बर-परम्परा का संस्कारों से सम्बन्धित साहित्यमूलाचार इस कति' की रचना दिगम्बराचार्य वटकेर ने की है। इस कृति को कर्ता ने बारह अध्यायों में विभक्त किया है। यह एक संग्रहात्मक कृति है। इस ग्रन्थ में सामायिक, आदि षडावश्यकों का निरूपण है। इस कृति का काल लगभग पाँचवीं-छठवीं शताब्दी है। आचारदिनकर में वर्णित षडावश्यक, आदि विषयों के दिगम्बर-परम्परा से तुलनात्मक अध्ययन में यह ग्रन्थ भी उपयोगी रहा है। २. भगवती-आराधना इस कृति के रचयिता शिवार्य हैं। यह ग्रन्थ प्राकृत-भाषा में लिखा गया है, इसमें कुल गाथाओं की संख्या २१६४ है। यह ग्रन्थ आठ परिच्छेदों में विभक्त है, जिनमें सम्यग्दर्शन, ज्ञान, चारित्र और तप- इन चार आराधनाओं का निरूपण है। इस ग्रन्थ में सामान्यतया मुनिधर्म का तथा विशेष रूप में समाधिमरण का मूलाचार, सम्पादकद्वय : डॉ. फूलचन्द्र जैन एवं डॉ. श्रीमती मुन्नी जैन, भारतवर्षीय अनेकान्त विद्वत् परिषद, प्रथम संस्करण: १६६६. भगवती आराधना, अनु.: पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, बाल ब्र. श्री हीरालाल खुशालचंद दोशी, फलटण वाखरीकर, प्रथम संस्करण १६६० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001671
Book TitleJain Sanskar Evam Vidhi Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMokshratnashreejiji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Vidhi, & Culture
File Size24 MB
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