________________
वर्धमानसूरिकृत आचारदिनकर में प्रतिपादित संस्कारों का तुलनात्मक एवं समीक्षात्मक अध्ययन
श्वेताम्बर एवं दिगम्बर-परम्परा में क्रमशः 'आचारदिनकर' एवं 'आदिपुराण' ही ऐसे ग्रन्थ हैं, जिसमें हमें सम्पूर्ण संस्कारों का वर्णन मिल जाता है। अन्य ग्रन्थों में भी कुछ संस्कारों के किए जाने हेतु नामोल्लेख तो अवश्य मिलते हैं, किन्तु वहाँ इनकी निश्चित संख्या के बारे में कोई उल्लेख नहीं है। आचारदिनकर ४० संस्कारों का उल्लेख करता है, तो आदिपुराण में इनकी संख्या १०० से भी अधिक हो जाती है। वैदिक-परम्परा में संस्कारों की संख्या के सम्बन्ध में विद्वानों में आपस में मतभेद रहा है, जैसे- कोई संस्कारों की संख्या सोलह मानते हैं, कोई अठारह, तो कोई चालीस। यह तो संस्कारों की संख्या के सम्बन्ध में सामान्य जानकारी है। अब प्रत्येक परम्परा में वर्णित संस्कारों के सम्बन्ध में विस्तृत विवेचन है। श्वेताम्बर-परम्परा में वर्णित संस्कारों की संख्या
श्वेताम्बर-परम्परा के आचारदिनकर नामक ग्रन्थ में सर्वप्रथम चालीस संस्कारों का उल्लेख मिलता है। इससे पूर्ववर्ती ग्रन्थों में इनमें से कुछ संस्कारों के विधि-विधान सहित उल्लेख मिलते हैं, यथा- प्रतिष्ठाविधि, आवश्यकविधि, प्रायश्चित्तविधि, इत्यादि, किन्तु वहाँ इन्हें संस्कार के नाम से अभिहित नही किया गया है, वहाँ इन्हें विधि-विधान के रूप में ही माना गया है। इसी प्रकार गर्भाधान (स्वप्न-दर्शन) जातकर्म, सूर्य-चन्द्रदर्शन, नामकरण, आदि संस्कारों के नामोल्लेख तो आगमों में भी मिलते हैं, किन्तु वहाँ इनसे सम्बन्धित विधि-विधानों के उल्लेख नहीं मिलते है। आगमकालीन युग से लेकर १५वीं शती तक और उसके बाद भी हमें किसी ऐसे ग्रन्थ का उल्लेख नहीं मिलता, जो इन सभी चालीस संस्कारों का उनके विधि-विधानों सहित निरूपण करता हो। इस प्रकार श्वेताम्बर-परम्परा में संस्कारों का विधि-विधान सहित निरूपण करने वाला एकमात्र ग्रन्थ आचारदिनकर ही है। इसमें वर्णित चालीस संस्कारों को निम्नांकित तीन भागों में विभक्त किया गया है(अ) गृहस्थ सम्बन्धी (२) मुनि सम्बन्धी (३) मुनि एवं गृहस्थ सम्बन्धी (१) गर्भाधान-संस्कार (१) ब्रह्मचर्य-व्रतग्रहण-विधि (१) प्रतिष्ठा-विधि (२) पुंसवन-संस्कार (२) क्षुल्लक-विधि (२) शान्तिक-कर्म (३) जातकर्म-संस्कार (३) प्रव्रज्या-विधि . (३) पौष्टिक-कर्म (४) सूर्य-चन्द्रदर्शन-संस्कार (४) उपस्थापना-विधि (४) बलि-विधान (५) क्षीराशन-संस्कार (५) योगोद्वहन-विधि (५) प्रायश्चित्त-विधि (६) षष्ठी-संस्कार (६) वाचनाग्रहण-विधि (६) आवश्यक-विधि
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org