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वर्धमानसूरिकृत आचारदिनकर में प्रतिपादित संस्कारों का तुलनात्मक एवं समीक्षात्मक अध्ययन
तत्पश्चात् गृहस्थ- गुरु किस प्रकार से कुलवृद्धा के कान में शिशु का नाम बताए, किस प्रकार से शिशु एवं उसकी माता को चैत्य में लेकर जाए तथा वहाँ किस प्रकार से परमात्मा की द्रव्यपूजा करे ? इसका भी मूल ग्रन्थ में उल्लेख किया गया है । तत्पश्चात् जिनप्रतिमा के समक्ष कुलवृद्धाएँ शिशु का नाम प्रकट करें।
गाँव या नगर में मंदिर का अभाव होने पर गृह- प्रतिमा के सम्मुख भी इसी प्रकार की विधि करें। तत्पश्चात् पौषधशाला में आकर भोजन - मण्डली के स्थान पर मण्डलीपट्ट को स्थापित कर उसकी विधिपूर्वक पूजा करें। तत्पश्चात् साधुओं की तीन प्रदक्षिणा करके नमस्कार करें तथा सोने-चाँदी की मुद्राओं से यति (साधु) गुरु के नवांग की पूजा करें। फिर अक्षत से बधाकर वासक्षेप डलवाए। यति गुरु किस प्रकार से वासक्षेप करें तथा कुलवृद्धाएँ किस प्रकार से शिशु का नामकरण करें ? इसका उल्लेख करते हुए मूलग्रन्थ में यतिगुरु एवं गृहस्थगुरु को दान देने के लिए कहा गया है।
विधि के अन्त में वर्धमानसूरि ने इस संस्कार से सम्बन्धित सामग्री का भी उल्लेख किया है। इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी के लिए मेरे द्वारा किए गए आचारदिनकर के अनुवाद को देखा जा सकता है।
तुलनात्मक - विवेचन
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नामकरण - संस्कार लोकव्यवहार हेतु अनिवार्य है, इसलिए तीनों परम्पराओं में इसे एक धार्मिक - संस्कार के रूप में स्वीकार किया गया है। यद्यपि इन तीनों परम्पराओं में इस संस्कार के विधि-विधानों के सम्बन्ध में कुछ मतभेद हैं, तो कुछ समानता भी है।
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श्वेताम्बर-परम्परा के अर्द्धमागधी आगमग्रन्थ ज्ञाताधर्मकथा, औपपातिक, राजप्रश्नीय एवं कल्पसूत्रादि में इस संस्कार का उल्लेख मिलता है, किन्तु इस संस्कार सम्बन्धी विधि-विधानों का उल्लेख नहीं मिलता है। आचारदिनकर के अनुसार यह संस्कार गुरु एवं शुक्र के चतुर्थ स्थान में होने पर किया जाना श्रेष्ठ माना जाता है। दिगम्बर - परम्परा के ग्रन्थ आदिपुराण में इस प्रकार का ज्योतिष सम्बन्धी कोई उल्लेख नहीं मिलता है। वैदिक परम्परा में भी इस सम्बन्ध में कोई निर्देश नहीं मिलता है।
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(अ) ज्ञाताधर्मकथा सू. -१/६५, (ब) औपपातिक सू. - १०५, (स) राजप्रश्नीय सू. - २८० (सं. - मधुकरमुनि) (द) कल्पसूत्र सू. - १०१-१०४ (सं. विनयसागर ) ।
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आचारदिनकर, वर्धमानसूरिकृत ( प्रथम विभाग), उदय - आठवाँ पृ. १४, निर्णयसागर मुद्रालय, बॉम्बे, सन्
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