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________________ 98 साध्वी मोक्षरत्ना श्री में हमें इस प्रकार के संस्कार का उल्लेख नहीं मिलता है। हिन्दू परम्परा में मातृकापूजन के रूप में दुर्गादि देवियों की पूजा करने के उल्लेख तो मिलते हैं, किन्तु वहाँ इसे संस्कार की श्रेणी में नहीं रखा गया है। शुचि - संस्कार - आचारदिनकर" के अनुसार सूतक का निवारण करने हेतु यह संस्कार अपनी कुल परम्परा के अनुसार किया जाता है। दिगम्बर- परम्परा के ग्रन्थ आदिपुराण में इस संस्कार को प्रियोद्भवक्रिया में ही समाहित किया गया है। हिन्दू - परम्परा में हमें इस संस्कार का कोई उल्लेख प्राप्त नहीं होता है । यद्यपि, हिन्दू - परम्परा में भी सूतक सम्बन्धी मान्यताओं का और उसके निवारण का उल्लेख मिलता है, किन्तु वहाँ इसे संस्कार के रूप में उल्लेखित नहीं किया गया है। नामकरण - संस्कार - आचारदिनकर" के अनुसार यह संस्कार शुचिकर्म के दिन अथवा दूसरे दिन या तीसरे दिन, अथवा अन्य कोई शुभ दिन देखकर किया जाना चाहिए। इस संस्कार का मूल उद्देश्य शिशु का नामकरण करना है। हिन्दू परम्परा में यह संस्कार प्रायः दसवें या बारहवें दिन किया जाता है । " दिगम्बर- परम्परा में भी यह संस्कार जन्म के बारह दिन बाद किया जाता है। ' १४२ १४१ अन्नप्राशन १४३ आचारदिनकर" के अनुसार यह संस्कार सामान्यतः पाँचवें या छठवें मास में किया जाता है। हिन्दू परम्परा में भी यह संस्कार आचारदिनकर की भाँति ही पाँचवें या छठवें महीने में किया जाता है। दिगम्बर- परम्परा में यह संस्कार सातवें या आठवें मास में किया जाता है । १३६ आचारदिनकर, वर्धमानसूरिकृत, उदय सातवाँ, पृ. १२, निर्णयसागर मुद्रालय, बॉम्बे, प्रथम संस्करण १६२२. आचारदिनकर, वर्धमानसूरिकृत, उदय- आठवाँ, पृ. १४, निर्णयसागर मुद्रालय, बॉम्बे, प्रथम संस्करण १६२२. १४० १४१ धर्मशास्त्र का इतिहास ( प्रथम भाग ), पांडुरंग वामन काणे, अध्याय-६, पृ. १६६, उत्तरप्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ, तृतीय संस्करण १६८०. आदिपुराण, जिनसेनाचार्यकृत, अनु डॉ. पन्नालाल जैन, पर्व अड़तीसव, पृ. २४८, भारतीय ज्ञानपीठ, सातवाँ संस्करण २०००. आचारदिनकर, वर्धमानसूरिकृत, उदय-नवमाँ, पृ. ६, निर्णयसागर मुद्रालय, बॉम्बे, प्रथम संस्करण १६२२. १४२ १४३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001671
Book TitleJain Sanskar Evam Vidhi Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMokshratnashreejiji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Vidhi, & Culture
File Size24 MB
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