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________________ ३६ ] प्राकृत-दीपिका [ पञ्चम अध्याय जाते हैं । जैसे -- हस ( हस् )> हासन्तो हासेन्तों हासमाणो हासेमाणो हसावंतो हसावेंतो इसावमाणों हसावेमाणो । कर ( कृ ) कारंतो कारेंतो करावंती करावेंतो कारमाणो कारेमाणो करावमाणो करावेमाणो । (४) प्रेरक कर्मणि वर्तमान कुबन्त - ( धातु + प्रेरक प्रत्यय + कर्म प्रत्यय + वर्तमान कृत् प्रत्यय ) धातु में प्रेरक प्रत्यय जोड़कर उसमें कर्म प्रत्यय ( ईअ इज्ज) जोड़ें, पश्चात् न्त, माण और ई प्रत्यय जोड़ने पर कर्मवाच्य में प्रेरणार्थक वर्तमान कृदन्त के रूप बनेंगे । जैसे -- हस (हस् )> हासीअंतो ( हस+अ+ अ + न्त), हासी अमाणो, हासिज्जमाणो, हसावीअंतो, हसावीअमाणो, हसाविज्जतो, हसाविज्जमाणो । कर (कृ) >कारीअंतो, कारीअमाणो, कारिज्जतो, का रिज्जमाणो, करावीअंतो, करावीअमाणो, कराविज्जतो, कराविज्जमाणो ॥] २. भूतकालिक कृदन्त [ 'अ' ] भूतकाल में किसी कार्य की समाप्ति के अर्थ को प्रकट करने के लिए 'अ का प्रयोग होता है । संस्कृत में एतदर्थ क्त ( त ) और क्तवतु ( तवत् ) प्रत्ययों का प्रयोग होता है । बहुत से ऐसे भूतकालिक कृदन्तों के प्रयोग मिलते हैं जो संस्कृत से ध्वनि परिवर्तन के 'त' भी हो जाता है । भूतकालिक अ, द या त नियमों से बने हैं । 'अ' को प्रत्ययों के अन्त्य 'अ' का 'इ' हो जाता है ।" ( गम् ) > गमि + अन्नामि । अ (पुं० ) गमिओ पढिओ करिओ जैसे- गम Jain Education International द (पुं०) गमिदो पढिदो करिदो त (पु ं०) गमितो पढितो करितो कहीं-कहीं 'द' और जुड़ने पर धातु के धातु गम् > नम पठ् > पढ़ कृ कर अन्य उदाहरण ( नपुं० ) - हस हसिअं ( हसितम् = हँसा ) । तुर > तुरिअं ( त्वरितम् - शीघ्रता १. क्त । हे० ८. ३. १५६ ॥ For Private & Personal Use Only संस्कृत रूप गतः गया ) पठित: ( पढ़ा ) कृत: (किया) www.jainelibrary.org
SR No.001669
Book TitlePrakrit Dipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2005
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size13 MB
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