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कृत् प्रत्यय ]
भाग १: व्याकरण
की)। झा>झा (ध्यातम् ध्यान किया ) । चल>चलिअं (चलितम्:: चला)। लु>लुओं (लूनम् = काटा) । चंकम>चंकमि ( चङक्रमितंधूमा)। लस>लसिसं (लसितम्-चमका ) । हू >हूअं ( भूतम् = हुआ)। सुस्सूस >सुस्सूसिअं ( शुश्रूषितम्-सेवा की)। इसी तरह-पडिअं (पतितम् ); पेसि (प्रेषितम्), गहीअं (गृहीतम्), पुच्छिमं (पृष्टम् ), इच्छिों ( इच्छितम् )। संस्कृत के सिद्ध शब्दों से ध्वनि परिवर्तन द्वारा निष्पन्न--
गयं ( गतम्=गया ) कडं ( कृतम् = किया ) मडं (मृतम् - मरा) दिळं ( दृष्टम् - देखा.) . दड्ढं ( दग्धम् - जला) नट (नष्टम् -नष्ट हुआ) तत्तं (तप्तम्-तप्त)
हडं ( हृतम् - हरण किया ) जिमं (जितम् -जीता) जा ( जातम् -पैदा हुआ) आणत्तं (आज्ञप्तम् - आज्ञा दी) ठिअं (स्थितम् = स्थित हुआ) पण्णत्तं, पन्नत्तं (प्रज्ञप्तम्-जाना) भग्गं ( भग्नम् = नष्ट किया ) लुद्ध ( लुब्धम् लुब्ध हुआ) संखयं, सक्कयं (संस्कृतम् संस्कृत किया) सुयं ( श्रुतम् = सुना) परूपिअं (प्ररूपितम् - निरूपित) गीयं ( गीतम् - गाया) पीयं (पीतम् - पिया) संत (श्रान्तम् - थका) खितं (क्षिप्तम् - फेंका )
अन्य उवाहरण-भिण्णं ( भिन्नम् ), छिण्णं ( छिन्नम् ), दिग्णं ( दत्तम् ), जिणं ( जीर्णम ), लीणं ( लीनम् )।
प्रेरणार्थक भूतकृदन्त-प्रेरणार्थक आवि और इ ('इ' प्रत्यय होने पर उपान्त्य 'अ' को 'आ' होता है ) जोड़ने के बाद भूतकृदन्त प्रत्यय धातु में जोड़ने से प्रेरणार्थक भूतकृदन्त के रूप बनते हैं। जैसे-कर+आवि = करावि+अकरावि ( कारितम् - करवाया या कराया ), हस>हसाविरं हासि 1 हासितम् - हंसवाया या हँसाया ), कर + इ = कारि + अ = कारि (कारितम् )।
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