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विविध प्राकृत भाषायें ]
विभक्ति-चिह्न
एकवचन
ए, ओ
अनुस्वार
इग, सा आए, आते
आओ, आतो
स्स
अंसि, मि, सि
एकवचन
इ
सि
मि
बहुवचन
आ
भाग १ : व्याकरण
ए
इहि, इहि तृ
अणं
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Я о
द्वि०
च०
इहितो पं०
अगं
ष०
बहुवचन
न्ति
ह
मो
'वीर' शब्द के रूप
स०
सं०
एकवचन
वीरे
वीरं
वीरेण
वीराए, वीराते
वीराओ, वीरातो
वीरस्स
वीरंसि वीरम्मि
वीरे, वीरा
इसु
ए, आ
ए
( ९ ) वर्तमान काल के धातु-प्रत्यय तथा 'गच्छ' धातु के रूप-
धातु-प्रत्यय
'गच्छ' धातु के रूप
एकवचन
प्र० पु०
गच्छइ,
म० पु०
गच्छसि
उ० पु०
गच्छामि
(१०) यथा और यावत् शब्दों के 'य'का 'अ' होता है । जैसे-प्रथाजात अहाजात, यथाख्यात > अहवखाय, यथासुखम् > अहासुं यावत्कया > आवकहा ।
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बहुवचन
वीरा
वीरे
वीरेहि
वीराणं
वीरेहितो
वीराणं
वीरेसु
वीरे
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बहुवचन
गच्छन्ति
(११) संयुक्त दन्त्य व्यञ्जन प्रायः मूर्धन्य हो जाते हैं । जैसे -- आर्त > अट्ट, निर्ग्रन्थः > नियंठो, पतनम् > पट्टणं, नर्तकः = नट्टगे, श्रद्धा > सड्ढा ।
गच्छह
गच्छामो
(१२) 'एव' के पूर्ववर्ती 'अम्' को 'आम्' होता है । जैसे-- एवमेव > एवामेव, तमेव > तामेव, पूर्वमेव > पुव्वामेव क्षिप्रमेव > खिप्पामेव । तेन + एव > तेणं एव - सेणामेव ।
(१३) सम्बन्ध भूत - कृदन्त क्त्वा के स्थान पर कई प्राचीन प्रत्यय ( इत्ता एता, त्ता, च्वा च्चाण, च्चाणं, इतु, ट्टु, इय, इया, ए, याण, याणं, ऊण
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