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प्राकृत-दीपिका
[ एकादश अध्याय
बहू
धेणु
धेणुए घेणुए
बहुत्तो
ष०
धेणूए घेणूए
घेणु
जुवईए, -इ,-अ, आ, जुवईण,-णं ष० नईआ नईण
जुवईसु,-सु स० नईए नईस जुवइ
जुवईओ सं० नइ नईओ (१०) उकारान्त धेण (गाय) (११) ऊकारान्त 'बहू' एकवचन बहुवचन
एकवचन बहुवचन घेण धेणओ प्र०
बहूओ, बहू धेणओ द्वि०
बहूओ घेणूहि
बहूए बहूहि, -हिं, -हिं धेशण
बहूए बहूण, बहूणं घेणुत्तो धेहितो पं०
बहूहितो, बहूसुतो धेणूण
बहूए बहूण, बहूणं घेणूसु स०
बहूसु, बहूसु धेणओ सं० बहु बहूओ, बहू
नपुंसकलिङ्ग संज्ञाएँ (१२) अकारान्त 'फल'
(१३) इकारान्त वारि (जल) एकवचन बहुवचन
एकवचन बहुवचन फलं
फलाणि; -ई, -इ प्र० वारि वारीणि, इ, ई कुमारी, इत्थी (स्त्री), दासी, धाई (धाय), नडी (नटी-नर्तकी), मऊरी (मयूरीमोरनी), तरुणी (जवान स्त्री), पुहवी (पृथ्वी), रिप्पी (सीप), मेंहदी, पसाहणी (प्रसाधनी-कंघी), समणी (श्रमणी-साध्वी), खिड्डकी (खिड़की), भित्ती (दीवाल), जाई (जाति-चमेली), वावी (वापी), साहुणी (साध्वी) आदि ।
१. इसी प्रकार अन्य उकारान्त स्त्री० संज्ञाओं के रूप बनेंगे-तण, रज्जु (रस्सी), विज्जु (विद्यु त्), चंचु (चौंच), गउ (गौ) आदि ।
२. इसी प्रकार अन्य ऊकारान्त स्त्री० संज्ञाओं के रूप बनेंगे-सासू (श्वश्रू= सास), चम् (सेना) आदि ।
३. इसी प्रकार अन्य अकारान्त नयु संज्ञाओं के रूप बनेंगे--णाण (ज्ञान); तिण (तृण-घास), जीवण (जीवन), धय (घृत-घी), कसिण (कृष्ण काला),
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