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________________ शब्दरूप ] सं० बाला, बाले - नोट – इकारान्त, उकारान्त आदि 'बाला के ही समान बनेंगे । (८) इकारान्त' जुवइ (युवति) एकवचन जुबई जुवई जुवईए, - इ - अ, आ 22 भाग १ : व्याकरण बालाओ, बालाउ ( बाला) स्त्री० के रूप प्रायः आकारान्त बहुवचन जुवईओ जुवईओ जुवईहि, हि, हिं तृ० Jain Education International По द्वि० जुवईण, -णं च० जुवईए (जुवइतो, जुवईओ) जुबईहितो, सुतो पं० (९) ईकारान्त नई (नदी) बहुबचन एकवचन नई नई नई ए [ ९६ नईआ नइत्तो नईओ नईओ मट्टिआ ( मृत्तिका = मिट्टी ) माआ ( मातृ ), ससा ( स्वसृ - बहिन ) णणंदा (ननद), माउसिआ (मातृस्वसृ - मोसी), धूआ (दुहितृ पुत्री), नावा (नौ), गिरा (वाणी), खमा (क्षमा); तारगा (तारका= तारे), भासा (भाषा), सोहा (शोभा), सड्ढा (श्रद्धा), विज्जा (विद्या), लज्जा, सुण्हा ( स्नुषा - बहू), विज्जुला (विद्युत् ), जत्ता (यात्रा), सहा (सभा), चडआ (चटका = चिड़िया), फलिहा ( खाई), भुक्खा (बुभुक्षा- भूख), रच्छा ( रथ्या-गली), महुमक्खिआ ( मधुमक्षिका ) कुचिया (चाबी), तिसा (तृषा = प्यास), संझा ( सन्ध्या), वाया (वाणी), कलिआ (कलिका - कली), चंदिआ (चंद्रिका चाँदनी) आदि । For Private & Personal Use Only नईह नईण नईहितो १. इसी प्रकार अन्य इकारान्त स्त्री० संज्ञाओं के रूप बनेंगे - पुत्ति (पुत्री), धूलि (धूल), सिप्पि ( सीप), मुक्ति (मुक्ति), राइ ( रात्रि), रत्ति (रात्रि ), मइ (मति), भक्ति ( भक्ति ), आसत्ति (आसक्ति), सत्ति (शक्ति), कयलि ( कदली = केला ), दिट्ठि ( दृष्टि ), नीइ ( नीति ), रस्सि ( डोरी ), पंति ( पंक्ति-कतार), सति ( स्मृति ), बुद्धि आदि । २. इसी प्रकार अन्य ईकारान्त स्त्री० संज्ञाओं के रूप बनेंगे -- डाली (शाखा) - सही ( सखि ), जणणी ( जननी = माता ), अंगुली, लच्छी (लक्ष्मी), बहिणी ( भगिनी ), रुप्पिणी ( रुक्मिणी), गावी (गो), साडी ( शाटिका - साड़ी), www.jainelibrary.org
SR No.001669
Book TitlePrakrit Dipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2005
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size13 MB
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