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द्रव्यानुयोगतर्कणा
[७३ अथ षष्ठभेदमाह। अब द्रव्यार्थिकनयका षष्ठ (छठा) भेद कहते हैं ।
भेदस्य कल्पनां गृह्णनशुद्धः षष्ठ इष्यते ।
यथात्मनो हि ज्ञानादिगुणः शुद्धः प्रकल्पनात् ॥१५॥ भावार्थः-भेदकी कल्पनाको ग्रहण करते हुए अशुद्ध द्रव्याथिकनामा छठा ६ भेद माना जाता है, जैसे आत्माके ज्ञानादि शुद्ध गुणोंकी कल्पना भेदको कहती है ॥ १५ ॥
व्याख्या । अशुद्धद्रव्याथिकः षष्ठो भेदो भेदस्य भेदभावस्य कल्पनां गृह्णन् सन् जायते । यथा हि ज्ञानादयो गुणा: शुद्धा आत्मन: कथ्यन्त इत्यत्र षष्ठीविभक्तिर्मेदं कथयति । भिक्षोः पात्रमितिवत् । परमार्थतस्तु गुणगुणिनोभेंद एव नास्ति । तस्मात्कल्पितो भेदोऽत्र ज्ञेयो न तु साहजिकः ॥ १५ ॥
व्याख्यार्थः-भेदभावकी कल्पनाको ग्रहण करता हुआ अशुद्धद्रव्यार्थिक छठा ६ भेद उत्पन्न होता है; जैसे कि-आत्माके शुद्ध ज्ञानादि गुण कहे जाते हैं; "आत्मनः गुणाः” (आत्माके गुण ) यहांपर षष्ठी विभक्ति भेदको कहती है; जैसे कि-"भिक्षोः पात्रम्" भिक्षुका पात्र यहांपर भिक्षुकसे पात्रको जुदा दिखलाती है; परन्तु यथार्थमें भिक्षुकके पात्रके समान ज्ञानादि गुण तथा गुणी आत्माके भेद नहीं है, इसलिये यहां कल्पित भेद समझना चाहिये न कि-स्वाभाविक क्योंकि-गुण और गुणी कहीं जुदे २ नहीं मिलते ॥ १५॥
अथ सप्तमभेदं कथयति । अब सप्तम (सातवें) भेदको कहते हैं ।
अन्वयी सप्तमश्चै कस्वभावः समुदाहृतः ।
द्रव्यमेकं यथा प्रोक्तं गुणपर्यायभावितम् ॥१६॥ भावार्थ:--अन्वयी द्रव्यार्थिक सप्तम भेद कहा गया है; जैसे कि-गुण तथा पर्यायोंसे युक्त द्रव्य एक ही स्वभाव कहा है ॥ १६ ॥
व्या०-अन्वयद्रव्याथिकः सप्तमो भेद एकस्वभाव उक्तः । यथा द्रव्यं चैकं गुणः पर्यायश्च भावित वर्त्तते द्रव्यमेकं गुणपर्यायस्वभावमस्ति । गुणेषु रूपादिषु पर्यायेषु कम्बुग्रीवादिषु द्रव्यस्य घटस्यान्वयोऽस्ति । यतस्तत्सत्त्वे तत्सत्त्वमन्वयः । अथवा सति सद्भावोऽन्वयो यथा सति दण्डे घटोत्पत्तिः । अत एव यदा द्रव्यं ज्ञायते तदा द्वव्यार्थादेशेन तदनुगतसर्वगुणपर्याया अपि ज्ञायन्ते । यथा सामान्य प्रत्यासत्या परस्य सर्वा व्यक्तिरप्यवगन्तव्या । तथात्रापि ज्ञेयमित्यन्वयद्रव्याथिकः सप्तम इति ॥ १६ ॥
व्याख्यार्थः-अन्वयद्रव्यार्थिक नामवाला सप्तम भेद एकस्वभाव कहा गया है; जैसे एक ही द्रव्य गुण और पर्यायोंसे युक्त है; अर्थात् एक द्रव्य गुणपर्यायस्वभाव है । रूप आदिक गुणोंमें और कंबुग्रीवआदि पर्यायोंमें द्रव्य जो घट है; उसका अन्वय है; क्योंकि
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