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द्रव्यानुयोगतर्कणा
[ ७९ अथ पर्यायर्थिकषड्भेदानाह । अब पर्यायार्थिकनयके ६ भेदोंको कहते हैं ।
पर्यायार्थिकषड्भेदस्तत्राद्योऽनादिनित्यकः ।
पुद्गलानान्तु पर्यायो मेरुशैल इवाचलः ॥ २ ॥ भावार्थः-पर्यायार्थिक नय ६ भेदों सहित है; उनमें पर्यायार्थिकका प्रथम भेद अनादिनित्यशुद्धपर्यायार्थिक है; जैसे पुद्गलोंका पर्याय मेरु पर्वतकी तरह अचल ( अनादि नित्य ) है ॥२॥
व्याख्या । पर्यायाथिकश्चासौ षड्भेदश्च पर्यायार्थिकषड्भेद: पर्यायाथिको नयः षट् प्रकार इत्यर्थः तत्र तेषु षट्सु भेदेषु प्रथमो भेदोऽनादिनित्यशुद्धपर्यायाथिकः कथ्यते । न विद्यत आदियंस्यानादिः पूर्वकल्पनारहितः, उत्पत्त्यमावान्नित्य एव नित्यकः “स्वार्थे कः" सदैकस्वभावोऽनश्वरत्वात् । अनादिश्च नित्यकश्चेति द्वन्द्वः । अयं च शुद्धपर्यायाथिक: प्रथमः । क इवाचलो मेरुरिव । यथा भेरुः पुद्गलपर्यायेण प्रवाहतोऽनादिनित्यकोऽस्ति, असंख्यातकाले अन्योन्यपुद्गलसंक्रमेणापि संस्थानतः स एव मेरुवर्तते । एवं रत्नप्रभादीनामपि पृथ्वीपर्याया ज्ञातव्या इति ॥ २ ॥
व्याख्यार्थः-पर्यायार्थिकरूप जो षड्भेद इस प्रकारसे यहांपर कर्मधारय तत्पुरुष समास है; भावार्थ-पर्यायार्थिकनय षट् (छ) भेद सहित है। उन षट् भेदोंमेंसे प्रथम भेद अनादि नित्य शुद्धपर्यायार्थिक कहा जाता है; नहीं है आदि जिसका उसको अनादि कहते हैं; पूर्व कल्पनाशून्य होनेसे यह अनादि कहागया है; तथा उत्पत्तिके अभावसे यह नित्य फहागया है; नित्य ही जो है, उसको नित्यक कहते हैं; "नित्य एव नित्यकः” यहांपर स्वार्थ (नित्य शब्दके अर्थ )में क प्रत्यय है, अर्थात् अविनाशी होनेसे जो सदा एक स्वभाव है, वह नित्यक है; अनादि और नित्यक जो होयसो अनादिनित्यक है; यहांपर द्वन्द्व समास है। यह शुद्ध पर्यायार्थिक प्रथम भेद है । किसके समान है; कि मेरु पर्वतके समान, जैसे मेरु पर्वत पुद्गलपर्यायसे प्रवाहद्वारा अनादि और नित्य है, अर्थात् असंख्यात कालमें परस्पर पुद्गलोंका संक्रम होनेपर भी संस्थानसे वह ही मेरु है; न कि-अन्य । इसी प्रकार रत्नप्रभा भूमिआदि पर्याय भी नित्य तथा अनादि समझने चाहियें ॥२॥
अथ द्वितीयो भेद: पर्यायाथिकस्य कथ्यते ।। अब पर्यायार्थिकका द्वितीय भेद कहते हैं ।
पर्यायार्थिकः सादिनित्यः सिद्धस्वरूपवत् । भावार्थ:-सिद्धस्वरूपके तुल्य "सादिनित्यपर्यायार्थिक" यह पर्यायार्थिकनयका द्वितीय भेद है।
व्याख्या। पर्यायाथिको द्वितीयः मादिरादिसहितः पुननित्यःकिंवत् सिद्धस्वरूपवत् । यथा
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