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________________ ४४ नयचक्र ५८ ६३ उत्तर प्रकृतियोंकी संख्या ४८ पंचास्तिकायका कथन शुभ-अशुभ प्रकृतियां सुख-दुःखमें हेतु ५२ तत्त्वोंके भेद चारों गतियोंमें आयुका प्रमाण आस्रवके भेदोंका कथन जीवोंको पांच अवस्थाएँ बन्धके भेद और उनका कारण विभाव और स्वभावका फल संवरका स्वरूप अनेकान्त दृष्टिका फल निर्जराका स्वरूप और भेद द्रव्योंके विशेष कथनकी प्रतिज्ञा ५८ मोक्षका स्वरूप और भेद आकाशद्रव्यका विशेष लक्षण और भेद नौ पदार्थों के स्वामित्वका कथन लोक और अलोकका लक्षण ५९ सात तत्त्वोंके स्वामी लोकका स्वरूप और पुद्गलके साथ उसका सम्बन्ध५९ भगवान् महावीरको नमस्कार करके प्रमाण पुद्गलद्रव्यका स्वरूप और प्रयोजन और नयका कथन करनेकी प्रतिज्ञा तथा पुद्गलका जीवके साथ सम्बन्ध उसकी आवश्यकता जीवके भेद प्रमाणका स्वरूप, भेद और प्रयोजन जीवका स्वरूप पांच ज्ञानोंका कथन प्रभुत्वगुणका समर्थन प्रमाण, नय और निक्षेपमें अन्तर जीवके अभावका निषेध करनेके लिए जीव नयका स्वरूप और प्रयोजन शब्दकी निरुक्ति ६४ एकान्तसे वस्तुकी सिद्धि नहीं जीवमें भावाभावको बतलानेवाले प्रकारके चार स्वार्थसिद्धिका मार्ग और कुमार्ग भेद एकान्त और अनेकान्तका स्वरूप चैतन्यके भेद और उसके स्वामी ६९ तथा दोनोंके सम्यक् और मिथ्याभेद जीवके उपयोगका कथन ७१ नयदृष्टिसे रहित मनुष्य अन्धे जीव कथंचित् अमूर्तिक नयके मूलभेद १०४ जीव अमूर्त होते हुए भी कथंचित् मूर्तिक सात नय और तीन उपनय १०५ जीवका आकार देह प्रमाण ७२ तीन उपनयोंके नाम और भेद शरीरके भेद नयोंका विषय जीवके भोक्तृत्वका कथन कर्मोपाधि निरपेक्ष शुद्धद्रश्यार्थिक १०६ कर्म कथंचित् सादि है सत्ताग्राहक शुद्ध द्रव्यार्थिक नय १०७ बन्ध सान्त और अनन्त भेदविकल्पनिरपेक्ष , १०७ पुद्गल स्कन्धोंका कर्मरूप परिणमन कर्मोपाधिसापेक्ष अशुद्ध द्रव्याथिक बन्ध और मोक्षमें मुख्य और गौण निमित्त ७७ उत्पाद व्ययसापेक्ष १०७ बीजांकुर न्यायसे कर्म और उसके फलका कथन ७८ । भेदकल्पनासापेक्ष १०८ धर्मद्रव्य, अधर्मद्रव्य और परमार्थ तथा व्यवहार- अन्वय द्रव्याथिक १०८ कालका कथन स्वद्रव्यादिग्राहक और परद्रव्यादिग्राहक परमार्थकालका स्वरूप और प्रयोजन द्रव्याथिकनय १०८ व्यवहारकालका स्वरूप परमभावग्राही द्रव्याथिकनय समय और प्रदेशका स्वरूप अनादि नित्य पर्यायाथिक लोक कार्य, द्रव्य कारण सादिनित्य पर्यायार्थिक ११० जीव और पुद्गलको पर्यायें तथा उनका अनित्य शुद्ध पर्यायार्थिक ११० अधिष्ठान ८३ अनित्य अशुद्ध पर्यायाथिक असनालीकी ऊंचाई और लोकका स्वरूप ८३ कर्मोपाधि निरपेक्ष अनित्य शद्ध पर्यायाथिक. १११ १०३ १०३ ७५ १०७ १०९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001623
Book TitleNaychakko
Original Sutra AuthorMailldhaval
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages328
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Nyay
File Size8 MB
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