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________________ विषय-सूची २७ जिनों और सिद्धोंको नमस्कार लक्षणोंका परस्परमें अविनाभाव सब द्रव्योंके सद्भावको कहनेकी प्रतिज्ञा उत्पाद, व्यय, ध्रौव्यको निरपेक्ष मानने में दोष स्वभाव और तत्संयुक्त द्रव्योंको प्रमाण और नय- निश्चयनयसे उत्पाद विनाश नहीं के द्वारा जाननेका निर्देश द्रव्य गुण पर्यायोंमें अभेद स्वभावके नामान्तर द्रव्यका स्वरूप स्वभाव और स्वभाववान्में व्याप्ति सतके विनाश और असतकी उत्पत्तिमें दोष सब द्रव्य एक क्षेत्रावगाहरूपसे स्थित होते हए बौद्धके क्षणिकवादमें दूषण भी अन्यरूप नहीं होते नित्यपक्षमें दूषण ग्रन्थके बारह अधिकारोंका निर्देश ५ भेदपक्षमें दूषण एकान्तके विनाशके लिए द्रव्य, गुण, पर्यायको अभेदपक्षमें दूषण जानना आवश्यक ५ शून्यवादमें दूषण गुणका स्वरूप और भेद ६ सर्वगतवादमें दूषण दस सामान्य गुणोंके नाम ६ ब्रह्मवादमें दूषण सोलह विशेषगुणोंके नाम यदि सभी पक्ष सदोष हैं तो वास्तविक क्या है ? २८ ज्ञानादि विशेषगुणोंके भेद ८ एकान्तपक्षमें दोष देकर जन्मान्धोंके द्वारा हाथी प्रत्येक द्रव्यके सामान्य-विशेषगुण दर्शनके उदाहरणसे स्वमत समर्थन . २९ चेतना आदि गुणोंमें पुनरुक्त दोषका परिहार सामान्य स्वभावोंके नाम पर्यायका लक्षण और भेद विशेष स्वभावोंके नाम जोवादि द्रव्योंकी पर्याय ११ छह गाथाओंसे सामान्य स्वभावोंका स्वरूप कथन ३२ पर्यायके चार भेद स्वभाव सार्थक और निरर्थक कैसे द्रव्य स्वभावपर्याय गण और पर्यायोंको स्वभावपना गुण स्वभावपर्याय प्रत्येक द्रव्यमें स्वभावकी संख्या जीवद्रव्यकी विभावपर्याय स्वभाव और स्वभाववान्का स्वरूप जीवको विभाव गुणपर्याय स्यात् शब्दका प्रयोग न करने में दोष जीवद्रव्यकी स्वभावपर्याय १३ कर्मजन्य, क्षायिक और स्वाभाविक भावोंकी जीवको स्वभाव गुणपर्याय संख्या व स्वरूप पुद्गलोंके बन्धका कथन स्वभावोंमें हेय और उपादेयपना पुद्गलद्रव्यको स्वभावपर्याय जीव और पुद्गलमें विभावपरिणतिका कारण ४४ पुद्गलद्रव्यके गुणोंकी स्वभावपर्याय विभावका स्वरूप, कारण और फल पुद्गलद्रव्यकी विभावपर्याय जीवको विभावपरिणति पुद्गलके गुणोंकी विभावपर्याय कर्म प्रकृतियोंके भेद और बन्धके कारण धर्मादि द्रव्योंकी स्वभावपर्याय १७ भाव और द्रव्यमें कार्य-कारणपना व्युत्पत्तिपूर्वक द्रव्यके तीन लक्षण मूलप्रकृतियोंके नाम ४१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001623
Book TitleNaychakko
Original Sutra AuthorMailldhaval
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages328
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Nyay
File Size8 MB
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