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________________ आप्तपरीक्षा-स्वोपज्ञटीका यह श्रीपुरपार्श्वनाथस्तोत्र मराठी टीका सहित श्रीपात्रकेसरीस्तोत्रके साथ संयुक्तरूपमें आजसे २६ वर्ष पूर्व वि० सं० १९७८ ( ई० १९२१ )में एकबार प्रकाशित हो चुका है। इसके अन्तमें एक समाप्ति-पुष्पिकावाक्य पाया जाता है और जो इस प्रकार है : 'इति श्रीमदमरकीत्तियतीश्वरप्रियशिष्यश्रीमद्विद्यानन्दस्वामि-विरचितश्रीपुरपार्श्वनाथस्तोत्र समाप्तम् ।' इस पुष्पिकावाक्यमें अमरकीत्तियतीश्वरके शिष्य विद्यानन्दस्वामिको इस स्तोत्रका कर्ता प्रकट किया गया है। परन्तु ग्रन्थकार विद्यानन्दने अपने किसी भी ग्रन्थमें अपने गुरुका नाम अमरकीर्तियतीश्वर अथवा अन्य कोई नाम नहीं दिया और न उत्तरवर्ती ग्रन्थकारोंके उल्लेखों एवं शिलालेखों आदिमें उनके गुरुका नाम उपलब्ध होता है। १६वीं शतीमें होनेवाले वादी विद्यानन्दस्वामीके गुरुभाई-विशालकीतिके सधर्मा-अमरकीतिमुनि भट्टारकाग्रणीका उल्लेख जरूर आता है। हो सकता है वादी विद्या नन्दको इन्हीं गुरुभाई अमरकीतिका शिष्य बतलाकर उन्हें हो श्रीपुरपार्श्वनाथस्तोत्रका प्रतिलेखकोंने भ्रान्तिसे कर्ता लिख दिया हो । नामसाम्यकी हालतमें ऐसी भ्रान्ति होना कोई असम्भव नहीं है। अतः उक्त पुष्पिकावाक्य अभ्रान्त प्रतीत नहीं होता। इसके अलावा विद्यानन्दके अन्य तर्कग्रन्थोंकी तरह इसमें वही वाक्यविन्यास और प्रतिपादनशैली पाई जाती है । सूक्ष्मता और गहराई भी इसमें वैसी ही निहित है । अतएव यह ग्रन्थ भी ग्रन्थकारकी ही रचना होनी चाहिए। इस तरह यह ग्रन्थकारके ९ ग्रन्थोंका संक्षिप्त परिचय है। पहले पात्रकेसरी स्तोत्र ( जिनेन्द्रगुणस्तुति ), प्रमाणमीमांसा, प्रमाणनिर्णय और बुद्धेशभवनव्याख्यान ये चार कृतियाँ भी इन्हींकी समझी जाती थीं। 'विशालकीर्तेः श्रीविद्यानन्दस्वामीति शब्दतः । अभवत्तनयः साधुमल्लिरायनृपार्चितः ॥ जीयादमरकीाख्यभट्टारकशिरोमणिः। विशालकीतियोगीन्द्रसधर्मा शास्त्रकोविदः । -वर्धमान मुनीन्द्रकृत दशभक्त्यादि महाशा०, प्रश० सं० पृष्ठ १२५-१२६ । २. देखो, जनहितैषी भाग ९, अंक ९ में प्रकाशित प्रेमीजीका ‘स्याद्वादविद्यापति विद्यानन्द' शीर्षक लेख तथा उन्हींकी, युक्यनुशासन' ( सटीक ) की भूमिका Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001613
Book TitleAptapariksha
Original Sutra AuthorVidyanandacharya
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1992
Total Pages476
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Epistemology
File Size9 MB
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