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________________ कारिका ९] ईश्वर-परीक्षा ५९ तन्वादिकार्योत्पत्तिसिद्धः । न च तेषां सर्वकार्योत्पत्तौ निमित्तकारणत्वं दिवकालाकाशानामिव सम्मतं परेषाम्, सिद्धान्तविरोधान्महेश्वरनिमित्तकारणत्ववैयर्थ्याच्च । यदि पुनस्तेषु पुरुषान्तरेषु सत्स्वपि कदाचित्तन्वादिकार्यानुपत्तिदर्शनान्न तन्निमित्तकारणत्व तदन्वयाभावश्चेति मतम्, तदेश्वरे सत्यपि कदाचित्तन्वादिकार्यानुत्पत्तरीश्वरस्यापि तन्निमित्तकारणत्वं माभूत् । तदन्वयासिद्धिश्च तद्वदायाता। ६१. एतेनेश्वरसिसृक्षायां नित्यायां सत्यामपि तन्वादिकार्याजन्मदर्शनादन्वयाभावः साधितः, कालादिनां च, तेषु सत्स्वपि सर्वकार्यानु--- त्पत्तेः। ६२. स्यान्मतम्-'सामग्री जनिका कार्यस्य नैकं कारणम्', ततस्तदन्वयव्यतिरेकावेव कार्यस्यान्वेषणीयौ नैकेश्वरान्वयव्यतिरेको । पुरुषोंमें भी समान है क्योंकि उनके होनेपर शरीरादि कार्य उत्पन्न होते हैं। लेकिन नैयायिक और वैशेषिकोंने उन्हें समस्त कार्योंकी उत्पत्तिमें दिशा, काल, आकाशकी तरह निमित्तकारण नहीं माना, क्योंकि माननेपर प्रथम तो सिद्धान्त-विरोध आता है। दूसरे, महेश्वरको निमित्तकारण मानना व्यर्थ हो जायगा। यदि कहा जाय कि 'दसरे पुरुषों के होनेपर भी कभी शरीरादि कार्योंकी उत्पत्ति नहीं देखी जाती है, इसलिये दूसरे पुरुष उक्त कार्यों के निमित्तकारण नहीं हैं और न उनका अन्वय ही बनता है । अतः ईश्वरको शरीरादि कार्योंका निमित्तकारण मानना व्यर्थ नहीं. तो ईश्वरके होनेपर भी कभी शरीरादि कार्योंकी अनुत्पत्ति सम्भव है, अतः ईश्वर भी उक्त कार्योंका निमित्तकारण न हो। तथा पुरुषान्तरोंकी तरह उसका भी अन्वय असिद्ध हो जाता है। $६१. इसी विवेचनसे 'ईश्वरकी नित्य सृष्टि-इच्छा होनेपर भी शरीरादिकार्योंकी अनुत्पत्ति देखी जानेसे उसके अन्वय का अभाव सिद्ध हो जाता है एवं कालादिकों में भी सिद्ध समझना चाहिए, क्योंकि उनके रहनेपर भी समस्त कार्योंको उत्पत्ति नहीं होती है। अर्थात् वर्तमान कालमें भविष्यके कार्य उत्पन्न न होनेसे कालादिक भी उक्त कार्योंके निमित्तकारण नहीं हैं। ६२. शङ्का-सामग्री-( जितने कारण कार्यके जनक होते हैं उन सबको सामग्री कहा जाता है वह ) कार्यकी उत्पादक है, एक कारण नहीं । अतः सामग्रीका अन्वय और व्यतिरेक ही कार्यके साथ लगाना 1. व 'निमित्तकारणतावैयर्थ्याच्च' । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001613
Book TitleAptapariksha
Original Sutra AuthorVidyanandacharya
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1992
Total Pages476
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Epistemology
File Size9 MB
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