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जुगाई जिणिद-परियं
पडिबझंति । वासुदेवमायरो सत्त, बलदेवमायरो चउरो, सेसमंडलियसेट्ठि-सत्थवाहाईण जणणीओ इमाण एग महासुमिणं पासित्ता णं पडिबुज्झंति । इमे वि चंदपियणलक्खणे महासुमिणे धणसिरीए दिळें तं होयब्वं पहाणपुत्तजम्मेण । सेससुमिणा पुण जहन्नमज्झिमुक्कोसफलदायगा । जओ
नियकम्मनिम्मियं चिय सुहासुहं पायडंति किर सुमिणा । घणतिमिरनियरपरिसंठियाणि दब्वाणि दीवोव्व ॥१२६९॥ गय-सीह-वग्घ-हय-वसह-नरजुयं रहवरं समारूढो। जो वच्चइ सुमिणं ते पुहईए होइ सो राया ॥१२७०।। करिनरपासायत्थो जलहिं पाऊण जो उ बुज्झेज्जा । तह चेव सो वि राया होइ फुडं जाइरहिओ वि ॥१२७१।। धवलगइंदारुढो तडागसीसम्मि सालि-दहिकरं। जो भुंजइ सो वि फुडं नरनाहो होइ पुहईए ॥१२७२।। नग-नगर-गाम-काणण ससमुई वसुमई तु बाहाहिं। उद्धरइ सो वि राया होइ फुडं थेवदिवसेहिं ॥१२७३।। नियमुत्तपुरीसं सुमिणयम्मि आयड्ढिऊण हत्थेहिं । जो किर बुज्झए पुरिसो रज्जसिरि सो वि पावे ॥१२७४।। लिग-भग-सीसछेया नरनारीणं हवंति सुहफलया । सोहग्गभोगसंपयधणावहा नण सुमिणम्मि ॥१२७५।। आरोविऊण धणुहं जीवरवाऊरमाणदिसिचक्कं । जो हणइ सत्तुसेनं सो पावइ संपर्य विउलं ॥१२७६।। गय-वसह-सेलवरतरुपासायारोहणं किल पसत्थं । रुनं विद्वालेवो अगम्मगमणं च सुमिणम्मि ॥१२७७।। जो किर दाहिणहत्थे पंडरवनेण खज्जए अहिणा । लहइ सहस्समणूणं दिणाण अट्टण्ह मज्झम्मि ॥१२७८।। फलगब्भिणखीरदुमं आरोढुं तत्थ चेव एगागी। जो बुज्झइ सो तुरियं धणरिद्धि लहइ सुमिणम्मि ॥१२७९।। तिमिणो आमं मंसं पायाईसु तह नराण खायंतो । पडिबुज्झइ पंचसए पावइ सीसम्मि जा रज्जं ॥१२८०।। अइनिन्नकूवजलसंचयाओ आरुहइ जो थलं पुरिसो। भयरहिओ सो वड्ढइ मेहागुणधारणाईहिं ॥१२८१।। घेत्तूण जो वि उज्झइ वीणं सुमिणम्मि हरिसपडहत्थो। कुलरूवसालिणी सो कन्नं परिणेइ कयपुन्नो ॥१२८२।। आसणसयणं जाणं मंदिरवत्थं विभूसणं जस्स। सुमिणम्मि दढं दिप्पइ सो पावइ सव्वओ लच्छिं ॥१२८३॥ सुमिणम्मि सुक्क-सोणिय-मुत्तपुरीसाइं लिहइ जो तुट्रो। छडि च सो किलेसा मुच्चइ नत्थित्य संदेहो ॥१२८४॥ पुन्वुत्तराए वच्चइ दिसाए जो वसहसंगए जाणे । इच्छियमत्थं पावइ सो पुरिसो जीवलोगम्मि ॥१२८५।। पज्जलियनगरमंदिरसेलग्गसिरम्मि संठिओ बुद्धो। सुमिणम्मि होइ राया वयणमिणं भद्दबाहुस्स ।।१२८६।। निम्मयकरिनाहठिओ जो जलहिं तरइ कह वि सुमिणम्मि । तह चेव य पडिबुज्झइ होइ नरिंदो न संदेहो ॥१२८७।। अंगोवंगसणाहं नहरोमविवज्जियं सरीरं तु। सुमिणम्मि जस्स वट्टइ सो लच्छिं लहइ दइयं च ॥१२८८॥ सुमिणम्मि जस्स छिज्जइ जीहासत्थेण तिक्खधारेणं । रज्जं लहइ नरिंदो सेसा वि लहंति लच्छीओ ॥१२८९।। छत्तोवाहणखग्गे सुमिणे लद्धण जाइपंथम्मि । गंतूण एइ तुरियं कयकज्जो निययगेहम्मि ॥१२९०॥ नेहाभंगे रोगो धणनासो होइं दंतपडणम्मि । सिंगिल्लदाढ़िवानरसंतासे भयं खु नरवइणो ॥१२९१॥ दाहिणदिसाए वच्चइ घेत्तूण करम्मि सामला नारी। रत्तंबररत्तविलेवणाए आलिंगए धणियं ॥१२९२।। खरकरपडियजाणे आरूढ तहट्ठिया य पडिबुद्धा । पाविति मरणमेए तिन्नि वि अहवा महावसणं ॥१२९३।। अइसुक्कदारु-तरु-ठाण-वल्लिमसाणेसु जो समारुहइ । सुमिणम्मि सो वि तावइ वसणं पुरिसो सकम्मेहि ॥१२९४।। जावयरसो हु सुमिणे निवडइ गयणाओ जस्स गेहम्मि । जलणा उ कह वि चुक्कं मुसति चोराओ तं गेहं ॥१२९५।। गुरुपत्थारोवहाणो खायंतो दारुयं वराहेणं । बोहिज्जइ जइ सुमिणे ता वच्चइ अंतयघरम्मि ।।१२९६।। उड्ढो रणखरसूयरनिबद्धरहसंठिओ हु जो जाइ। दाहिणदिसं हयासो सो पेच्छइ झत्ति जमगेहं ॥१२९७।। सुमिणम्मि जस्स गेहे महुजालं ठाइ दिवसओ कह वि। अत्थेण जीविएण य सो मुच्चइ पुग्नपरिहीणो ॥१२९८।। छारिल्लधाउरत्ता नग्गडजडालमुंडमलमइला। भीसणरुवाइ तहा सुमिणम्मि दिवा उ पडिसिद्धा ।।१२९९।। रत्तकणवीरमाला सुत्तं रत्तं च जस्स अंगम्मि । बज्झइ' सुमिणम्मि फडं तं अगं छिज्जए तस्स ।।१३००।।
राइए पढम जामे सुमिणो संवच्छरम्मि फलकारी । बीयम्मि कुणइ दिट्टो अहिं मासेहिं सुभमसुभं ॥१३०१॥ १ छुन्भ० जे० । २ संवच्छरेण जे० ।
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