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________________ ढाल८ रग-देशाख (माई इ न पराइ सर सति - ओ देशी) कुंअरनं मुख शसि, मनमथ तणइ वसि, निरख तो नेहवसि, मुनिसुता , नयन न खंचओ, प्रेम प्रपंच अ, अंचओ मरकले गुणयुता , चतुर चकोरडी, ससिबिंब चाहो, जिम तिम वेधि विलूधडी मे, मनस्यउ अ वर वर्यउ, सवि गुणइं परवर्यउ, अवरनी करी खरी आखडी मे, त्रूटक आखडी नर अवरांह, ऋषि सुता करइ मनमांहि, अंगित्त लही मनवात, अति चतुर तापस तात, रूंध्यउ रहइ किम सूर, उलटयां सागर पूर, उन्नयउ उत्तर मेह, तिम न रहइ ढांक्यउ नेह, तिम न रहइ ढांक्यउ नेह कहिनउ, नयन वयन परगट करइ, कुमर पिण तसु प्रेमि लुबध उ, अंक तेहनइं मन धरइ, चालि मनि धरी तव मुनि, बेहुं तणउ प्रेम अ, जिम ओ दुधमांहि, साकर भल्यां ओ, अतिहि उमाह , करति वीवाह ओ, चितित बेहुं तणां तव फल्या मे, रति अनइं मनमथ, चदनई रोहिणी, लखिमी नारायण जिम भजइ ओ, कुमर नई कुमरीइं, बेह संयोगई , तिम मनि आनंद ऊपजइ ओ. THE Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.001581
Book TitleRushidattras
Original Sutra AuthorJayvantasuri
AuthorNipuna A Dalal, Dalsukh Malvania
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size11 MB
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