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१५(ब)
चालि आपोह करतउ आगलि चाल्य उ, दोठ उ एक आरांम; अमरपुरीथी नंदन कानन, आव्य उ ए अभिरांम. अंब निंब बीली बहु जंबू, बाउल बोरि कदंब; ओला केला साहल रिसाला, ताल तमाल प्रलंब. नाग पुनाग पूगी बहू ऊगी, चंगु प्रीअंगु सुरंग; उत्तंग तगर अगर अनोपम, लाल लचित लविंग. फनस प्रयाल बहुली बीजोरी, करणी कर्मदी द्राख; अखोड बदाम अंजीर अनोपम, कणयर केरा लाख. कुरु बक तिलक अशोक अनोपम, कामी बकुल अपार ; जाइ जूई. चंपकनई केतकि, मालती मोगर सार. पाडल वालउ वेलि अनोपम, भमर करइ गुंजार; कोकिल कुहु कुहु शब्द सुणावइ, सीतल पवन प्रचार नपनंद न इम कानन जोतउ , अंब तलि ल्यइ विश्रांम; तब सहसा ते कुमरी दीठी, रूप तण उ एक धांम. वेणी कुटिल भूयंगम काली, प्रेमतणी परनाली; गोफणउ आइ रह्यउ नितंबई, सोहइ अति सविशाली
दूहा मदनसेर सीमंत जस, अठमि ससि सम भाल; सींगिणि साची कामिनी, भमहि कुटिल अणीआल.
चालि भमुहि कुटिल अणीआली काली, मोहणवेलि रसाली; लोचनवांणि वेध्या जन थंभइ, जांणे लीधी ताली, मृग जीता सेवइ वनवासा, पंकज नीर पडंति; एक ठामि न रहइ वलि खंजन, मनमई भीति वहति. दीपशिखा सम नासा उन्नत, तिल कुशम अनुकार; मुखससि जीतइ ससिहरमंडल, दीसइ कलंक संभार.
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