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ज नहि. मोटे सादे रुखमणी पण रडे छे ने लोकोने कहे छे, “कोण से मनुष्य छे जे मारा कथने वारशे ? जे वारशे तेने हु मनवांछित फळ आपीश." ते वखते तापस ऋषिदत्ता बोले छे, " हुँ तारा भरथारने वाळीश. " आवी विगत सहजसुंदरे आपी छे.
अज्ञातकविकृत कथामां अबु आप्यु छे के रुखमणी कनकरथने वात करे छे त्यारे तापस (ऋषिदत्ता) त्यां हाजर नथी. परंतु कनकरथ अने बोलावीने पोते सांभळेली सर्व हकीकत कहे छे. ओ समये ऋषिदत्ता पोते निदप साबित थई तेथी खुश थाय छे. जेवी रीते माणस कड़वी औषधिने फेकी दे छे तेवी ज रीते कनकरथ रुखमणीने काढी मूके छे. त्यार पछी कनकरथ मनमां विचारे छे, “ भारी पत्नी प्राषिदत्ता निंद ष हावा छतां में अनो त्याग कयेो. तेथी हु नरकमां पडीश, मारे हवे चिला सळगावी बळी ज सरवं जोई ओ." आस विचारी चितामां पडवा जाय छे त्यारे सुंदरपाणि राजा वीनवे छे उतां ते मानता नथी. त्यारे लोको तापस (ऋषिदत्ता ने अने मनाववा कहे छे. तापस आने सनजावे छे, “ स्त्रीनी पाछळ पुरुषे मरी न जवु जोईओ. जो तारामां सत्त्व होय तो स्त्री मरेली होबा छतां पण पाली आवी जाय. भानुमंत्रीने बन्यु तेम. अने ते पछी भानुमंत्रीनी आडकथा कवि आपे छे.
___ कनकरथ ऋषिदत्ता तेम ज रुखमणी साथे रथमर्दनपुर पहांच्यो. बन्ने सुखपूर्वक दिवसो व्यतीत करवा लाग्यां. ऋषिदत्ताने गर्भ रहयो. पोताने पुत्र जन्मवानो छे अवु स्वप्न आव्यु. स्वप्नमां जोयु के खोलामा रहेलु शरदऋतुना चंदना जेवु वेत अने जेना अग उपर भूरा रंगनी केशवाली फेला येली छे अबु सिंहनु बच्चं अना स्तनमाथी दूध पी ले. आ स्वप्नफळ उपरथी राजाओ जाण्यु के अने पराक्रमी पुत्र थशे ने पुत्र थया बाद सिंहस्थ अबु नाम पाड्यु. सिंहरथनो जन्मोत्सव तेमज केळवणी प्रसंग :
नव महिना ने साडा सात दिवस पछी पुत्र जन्म्यो. मे दिवसे सारा ग्रहो हता ने बधी दिशाओ प्रकाशित थई हती. प्रियवचनिका दासीओ राजाने पुत्र जन्मनी वधा पणी आपी. कनकरथे दासीने खूब ज दान आप्यु. ढोल बगडाव्यो. गंभीर वाजां वाग्यां. लोको नवां रंगेलां वस्त्रो धारण कर्या . वधूओ सुंदर रीते नृत्य करवा लागी तमाम नागरिकोनु सन्मान करवामां आव्यु. जग्याओ जग्याजे रासडा लेवाया, ठकठकाण दान लेवा लोको भेगा मल्या. घर घेर मूसळ ऊभां कर्या तोरणो बंधायां, परस्पर आभरणो अपायां. वधामणीमां रत्नो अपायां. अभयदान अपायु. शुक्लपक्षना चंद्रयानी जेन सिंहस्थ मोटो थयो ने गुरु पासे भणवा मोकल्यो. ते सर्व कळामां पारंगत थयो. आ सर्व हकीकत आख्यानकमणिकोषमा छे.
अज्ञातकविकृत कथामां नीचे प्रमाणे छ :
" पुत्रनो जन्म नव महिना ने साडा सात दिवस पछी थयो, वीटी-परवाळां, सोनु, चांदी वगेरेनु दान अपाय आखाय गानमा तोरण बंधायां. जेलमाथी केदीओने छुटा करवामां आव्या. बीजा राजाओने भोजन कराव्यां. वस्त्रो अपायां. सिंहरथने माटे पांच धात्री राखवामां आवी. शास्त्र अने शस्त्रनी कळा शीखवा तेने उपाध्याय पासे मोकल्या.
केटलाक गौण फेरफारो :
सहजसुंदरनी कथामां ऋषि कनकरथ साथे ऋषिदत्ताने मंदिर पासे परणावी दे छे.
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