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तिलकमञ्जरी कथा 211. ( देवस्य ) पादपंकजेभ्यः शपते 54. 22. 212. (देवस्य) पारवे प्रस्थापितोऽसि 99.8ff. 213. पाशमघटयम् 78. 2 214. पीतं कर्णामृतम् 94. 3. 215. पुनरनुयुज्यतां विशेषावगमार्थमत्रमवती 59.15. 216. पुनरुक्तमापतता 133.7. 217. पुनरुक्तमेोहीति भाषमाणः 217.31. 218. पूर्वपक्षीकरोति 149. 21. 219. पृच्छती प्रबन्धेन स्थितिवृत्तान्तमम्बाया: 201. 13. 220. प्रगुणित राजभिः 235.18. 221. प्रतनुरप्यास्ततन्द्रेण 241. 9ff. 222. प्रतिकलमुपक्रम्यमाण: 223. 16ff. 223. प्रतिपद्य....सर्वाङ्गिणमाकल्पम् 103. 15ff. 224. प्रतिपन्ना च भवती...निषेधुमेषाम् 192.19. 225. प्रतिविधेयं राजकार्यम् 107. 6. 226. प्रनष्टजीवितानां दुर्घट पुनः प्राणनम् 198. 14. 227. प्रपन्ने च तत्र ( use of तत्र for तस्मिन् ) 235, 16. 228. प्रबन्धवर्धमाना 103. 1. 229. प्रभातायां च शर्वर्याम् 103.5. 230. प्रभावमदभुत भावयतः 36. 12ff. 231. प्रवणतां गताभिरस्माभिः...किं ते प्रियं करणीयम 234.23ff. 232. प्रसत्तिमगमत् 146. 1. 233. प्रसीद यामः प्रतीपम् 164.29. 234. प्रस्थिते च तत्र ( = तस्मिन् ) 161.18. 235. प्रस्थीयतामभ्युदयाय 76. 10. 236. प्रापितो मतिविशेषः प्रकर्षम 170.3. 237. प्राभृतं कर्तुम् 229. 26. 238. प्रायच्छत् 200.27. 239. प्रीतिमधिगच्छतु 57. 13. ' 240. बद्धास्य मूर्ध्नि स्थितिः 140.25. 241. बधान क्षणमात्रमग्रतोऽवस्थानम् 53. 20. 242. बधान हस्ते 84.32 243. बबन्ध पक्षपातम् 58.13 ff. 244. बाढमावर्जितोऽहं...त्वदीयसौजन्येन 57.25. 245. बुसाय मत्वावधीरयद्भिः 59.15,
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