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तिलकमञ्जरोकथा
APPENDIX-D IDIOMATIC AND COLLOQUIAL USAGES IN THE TM (Note : Figures to the right indicate page and line numbers) 1. अफरोच्च तत्रैव दिवसे यात्राबुद्धिम् 114.30. 2. अकृतागतौ च तत्र 104.5. 3. अग्रतो देहि दृष्टिम् 167.28. 4. अञ्चलेन प्रणुदती बाष्पवेगम् 119.31ff. 5. अट्टहासानातेनु: 234.13. 6. अत्यन्तमापूरिता कोपेन भूत्वा पुरः 196.2. 7. अद्य भद्रं मच्चक्षुषा महाभागदेहारोग्यदर्शनेन 112.2 8. अद्यापि बहुचिन्तनीयमास्ते 173.4. 9. अधुना प्रस्तुतं समादिशतु देवः 249.22 ff. 10. अधःकृत्य साध्वसम् 212. 12. 11. अनभिप्रेतमात्मनो दशान्तरमनुभविष्यामि 164.20. 12. अनया विना विधुरेषु कुण्ठितशरस्प कस्ते शरणम् 180.11. 13. अनार्य, किमिय त्वया स्वकार्यसाधनाय निधनमुपनीता 179. 18ff. 14. अनेकापात्मना तमोरूपेण प्रेमनाम्ना महाग्रहेण गृहीता 194.21. 15. अन्तरा चायमन्तरायः संवृतः 191.10 ff, 16. अन्तरिक्षम् उदपतत् 141.19. 17. अन्यथाभावमुपगताम् 1833. 18. अन्यथा महन्मालिन्यमायातमस्माकम् 165.20. ff. 19. अपरिज्ञानम्...अत्र विषये न मे संभावयितुमर्हति माननार्हः 97.8-9. 20. अपशोक कुर्वद्भिः 69.20.. 21. अपि ध्रिपते तव सावित्री 159.15ff. 22. अपि न कुपिता त्वम् 196.17. 23. अभाजनमयंजनः सुखस्य 164.12ff. 24 अमृतविषभूतं वस्तुरूपम् 202.24. 25. अलीकमेव हितलोकाय दुःखहेतुना प्रकाशितेन त्मना न किञ्चित् फलम् 224. 14ff. 26. अलं च क्लेशितेन 161.1. , 27. अल्पमेव ते यदुपदेष्टा गुरुजनः 96.18ff. 28 अवज्ञाबुद्धिमात्मनि श्लथामकरोत् 57.25. 29. अवस्कन्दमतकितमपातयम् 79.21. 30. अवस्थाप्य निकषानदी परिच्छदम् 230.26. 31. अवहच्च वर्त्मनि प्रतिदिनमविच्छिन्नेः प्रयाणेः 105.19. 32. अविनीततायाश्व नीतः पात्रतामात्मा 195.15 ff.
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