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________________ ३५८ Appendix-D 33. अविरतत्रिलापदालतगलरन्ध्रजजरेण स्वरेण 181.3. 34. अविषयवर्तिनं वर्णनायाः 291.1. 35. असो तु मदर्शनैकशरणः कृतः 164.23. 36. अस्ति में महत् प्रयोजनम् 95.12. 37. अस्ति मे विलम्बः 1/5.5. 38. अस्मद्विधे बाह्यपरिजनेऽद्यापि का प्रतिबन्धः 180.21. 39. अस्य कुरु...कौशलिकम् 95.14ff. 40. अस्वस्थमनसा न किंचिदमुना धृतेन 225.22ff. 41. अहमपि त्वामनुप्राप्त एव 95.15 42. अहो निरवधिपचारो विधिः 202.12. 43. अहं तु अत्रैव निरपत्रा स्थिता 201.23ff. 44. आकर्णय वचनमस्माकम् 170.26ff. 45. आकृष्यमाणश्च व्यसनैषिणा पुरो विधिना 56. ff. 46. आचकांक्ष च तत्कालमेव कालं कर्तुम् 111.3. 47. आत्मजा जामातुरासादयिष्यति करग्रहणोत्सवम् 273.9. 48. आत्मानं करणैर्वियोजयसि 233.5. 49. आत्मापि चिन्त्यो वर्तते 164.18. 50. आपादयता सितपटस्य पाटवम् 145.5. 51. आयासपात्रं भविष्यति 114.17. 52. आयुःपरिसमाप्तिकालं यावदनुभाव्यः 224.16. 53. आसीदति करग्रहणलग्नम् 249.23ff. 54. इति च किं न वेद्मि 194.20ff. 55. इति श्रुत्वा प्रभुः प्रमाणम् 50.9 56. इतो वासरादतीतेऽहनि 112.11ff. 57. ईक्षणामृतम् आस्वाद यता 94.3 58. उच्चचार समुत्सारणध्वनिः 199.5ff. 59. उस्मादिता वैरिणि त्वयाहम् 196.5ff. 60. उत्सेकमगमत् 61.7. 61. उदधिबलमपि नइयलं जातम् । 197.14ff. 62. उदधताहमनेन तब वचनानुग्रहेण महादुःस्वपंकमग्ना 160.13ff. 63. उपजाततर्षोऽमतितरां तदंहियुगलावलोकने...58.36. 64. उपनीता च...अवरोधहेतुः...190.12 65. उपपत्तिभिर्मन्दीक्रियमाणजीवितपरित्यागबुद्धिः 112.23. 66. ऊर्वशोष शुष्यद्भिः ...69.13. 97. ऋषीणामपि मुषितधैर्याणि दृश्यन्ते...207.19. 68. कण्ठे गृहीतवती...198.31. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001574
Book TitleTilakmanjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanpal Mahakavi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1991
Total Pages474
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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