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________________ आभार हैदराबाद [आन्ध्र प्रदेश ] के निवासी श्रेष्ठी श्री मांगीलाल बाबूलाल जी पहाड़े एक धर्मात्मा एवं गुरु भक्त श्रावक हैं । आपका समस्त परिवार धर्म वात्सल्य से ओत-प्रोत है । सन् १६६४ में पूज्य गणिनी १०५ आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी ने अपने आर्यिका संघ सहित हैदराबाद में चातुर्मास किया था तब से यह परिवार माताजी की भक्ति में सदैव संग्लन हैं। वर्ष में कम से कम एक बार मांगी लाल जी पू० माताजी कहीं भी हों उनके दर्शनार्थ अवश्य आते हैं और त्रिलोक शोध संस्थान के प्रत्येक कार्य में रुचिपूर्वक भाग भी लेते रहते हैं । सम्पादक - ब्र० रवीन्द्र कुमार जैन अध्यक्ष - दि० जैन त्रि० शोध संस्थान इन्हीं धर्म भावनाओं से प्रेरित होकर श्री मांगीलाल जी, बाबूलाल जी एवं विजय कुमार इन तीनों भाइयों के शुभ भाव हस्तिनापुर में आकर पूज्य गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी के संघ सानिध्य में "श्री कल्पद्रुम महामण्डल विधान" कराने हुए अतः सन् १६८८ अक्टूबर में पू० माताजी की ५५वीं जन्म जयन्ती के शुभ अवसर पर जम्बूद्वीप स्थल पर उक्त महाविधान का भव्य कार्यक्रम आयोजित हुआ था । मण्डल विधान के समापन पर श्री बाबूलाल जी पहाड़े द्वारा ज्ञानदान में एक बृहद् राशि घोषित की गई थी । अष्टसहस्री ग्रन्थ के तृतीय भाग के प्रकाशन में उक्त राशि में से कुछ भाग का सदुपयोग किया गया है । Jain Education International पहाड़े परिवार सदैव इसी प्रकार देव, शास्त्र, गुरु की भक्ति में अपनी श्रद्धा रखते हुए पुण्योपार्जन करते रहें यही मंगल कामना है । दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान पहाड़े परिवार के प्रति आभार प्रकट करता है । For Private & Personal Use Only २१-४-१६६० जंबूद्वीप हस्तिनापुर www.jainelibrary.org
SR No.001550
Book TitleAshtsahastri Part 3
Original Sutra AuthorVidyanandacharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year
Total Pages688
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size15 MB
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