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________________ H55555555555555555555555555555 __ पाँच मंगलाचरण * अष्टसहस्सी ग्रन्थ का मूलस्रोत * श्री उमास्वामिविरचित-तत्त्वार्थसूत्रमहाशास्त्र का मंगलाचरण । मोक्षमार्गस्य नेतारं, भेतारं कर्मभूभृताम् । ज्ञातारं विश्वतत्त्वानां, वंदे तद्गुणलब्धये ॥१॥ 卐 श्रीमत्समंतभद्रस्वामि विरचित देवागमस्तोत्र का मंगलाचरण । देवागमनभोयान - चामरादिविभूतयः । मायाविष्वपि दृश्यन्ते, नातस्त्वमसि नो महान् ॥१॥ 5 999999999555555599359999991955 5 55555555555555555555 श्रीमद्भट्टाकलंकलदेव विरचित अष्टशती भाष्य का मंगलाचरण । उद्दीपीकृतधर्मतीर्थमचलज्योतिर्वलत्केवलालोकालोकितलोकलोकमखिलैरिन्द्रादिभिर्वदितम् ॥ बंदित्वा परमार्हतां समुदयं गां सप्तभंगीविधि । स्याद्वादामृतभिणी प्रतिहतकांतान्धकारोदयाम् ॥१॥ श्रीमविद्यानन्द आचार्य विरचित अष्टसहस्री का मंगलाचरण । श्रीवर्द्धमानमभिवंद्य समंतभद्र-मुद्भूतबोधमहिमानमनिन्द्यवाचम् । शास्त्रावताररचितस्तुतिगोचराप्त-मीमांसितं कृतिरलंक्रियते मयास्य ॥१॥ 959555 "स्याद्वादचिंतामणि" नामा हिन्दी टीकाकी आर्यिका ज्ञानमती रचित मंगलाचरण । सिद्धान्नत्वाहतश्चाप्तान, आदिब्रह्मा स बंद्यते। युगादौ सृष्टिकर्ता यः, ज्ञानज्योतिः स मे दिश ॥१॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001550
Book TitleAshtsahastri Part 3
Original Sutra AuthorVidyanandacharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year
Total Pages688
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size15 MB
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