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________________ अनेकांन की सिद्धि ] तृतीय भाग [ ६१ विवक्षा एवं अविवक्षा के विषय का सारांश विवक्षा और अविवक्षा सर्वथा असत् में नहीं हो सकती हैं किन्तु सत्रूप अनंतधर्मात्मक जीवादि पदार्थ में ही एकत्व, अनेकत्व की विवक्षा होती है । किसी की विवक्षा का विषय मनोराज्यादि असत्रूप हैं, अतः सभी को असत् मानना ठीक नहीं है अन्यथा किसी को केशों में मच्छर का ज्ञान असत्य है पुनः सभी प्रत्यक्ष असत्य मानने होंगे किन्तु ऐसा नहीं है। यदि आप बौद्ध कहें कि विवक्षा का विषय विसंवाद रहित सत्य है किन्तु अविवक्षा का विषय असत ही है यह कथन भी गलत है तथा अर्थ स्वलक्षण अविवक्षा का विषय है-शब्द से नहीं कहा जाता है फिर भी आप उसे सत् मानते हैं। यदि शब्दाद्वैतवादी शब्द को अविवक्षा का विषय मानकर भी उसे सत् मानते हैं तब तो भेद अथवा अभेद की अविवक्षा के विषय को भी सत् मानों क्या बाधा है? अतएव सतरूप ही जीवादि वस्तुएँ विधि एवं प्रतिषेध धर्मों के द्वारा विवक्षा एवं अविवक्षा का विषय हैं। अन्यथा सर्वथा असत्रूप धर्मों की विवक्षा-अविवक्षा करने पर उपचारमात्र ही होगा फिर क्या बालक में अग्नि का उपचार करने से उससे रसोई पकाने का उपयोग हो सकता है ? जब जीवादि वस्तु कथंचित् एकरूप हैं तब एकत्व की विवक्षा एवं पृथक्त्व धर्म के गौण होने से उसकी अविवक्षा है । जब वे ही वस्तु कथंचित् पृथक्त्वरूप हैं तब पृथक्त्व के प्रधान होने से उनकी विवक्षा हैं, एकत्व के गौण होने से उनकी अविवक्षा है अतः विवक्षा और अविवक्षा वस्तु धर्म के प्रधान एवं गौण के निमित्त से ही होती हैं। सार का सार-जिस धर्म को हम कहना चाहते हैं उसकी विवक्षा होती है जिस धर्म को नहीं कहना चाहते हैं उसकी विवक्षा नहीं है । जो वस्तु सत्रूप है उसी के किसी धर्म की विवक्षा और किसी धर्म की अविवक्षा होती है जैसे जीव सत्रूप है उसको नित्य कहने में उसके नित्यत्व धर्म की विवक्षा है उस समय अनित्य धर्म गौण हो गया है अतः उसकी अविवक्षा है भाकाश कुसुम के समान किसी धर्म की विवक्षा या अविवक्षा नहीं होती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001550
Book TitleAshtsahastri Part 3
Original Sutra AuthorVidyanandacharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year
Total Pages688
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size15 MB
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