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________________ ( ४६ ) टिकैतनगर (उ. प्र.) सदृश छोटे से कस्बे में जन्म होने पर सर्व भारत के कोने-कोने में विहार तत्तत्प्रान्तीय भाषाओं का प्रगाढ़ परिचय, साधु सन्तों के प्रति नितांत भक्ति, विद्वानों के प्रति वात्सल्यमय स्नेह, गुणीजनों के प्रति धर्म स्नेहयुक्त समादर यह माताजी की विशेषता है। कन्नड़, मराठी, हिंदी, संस्कृत व प्राकृत ग्रन्थों में सूक्ष्मतम प्रवेश ही नहीं, अपितु उन भाषाओं में काव्यरचना की योग्यता भी माताजी में है अनेक काव्यमय ग्रन्थ उनकी ज्ञान गंगा से प्रवाहित हुए हैं एवं जनादर को पा चुके हैं । विपुल प्रमाण में ज्ञानदान करने के कारण उनका नाम सचमुच में सार्थक है। चातुर्मास में प्रायः निरन्तर अध्ययन अध्यापनादि के कारण स्वपर कल्याण के महान कार्य में वे संलग्न होती हैं, उनका चातुर्मास प्रायः सर्वत्र हुआ है, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश के भव्य वर्गों के हृदय में उन्होंने अपनी अमिट छाप छोड़ दी है। वे सपने में, जागृत अवस्था में उनका स्मरण करते रहते हैं। उनकी कृपा से कभी उऋण नहीं हो सकेंगे। पूज्य माताजी जिस प्रकार ज्ञान की धनी हैं, उसी प्रकार वे प्रवचन में भी पट हैं, ज्ञानाराधना और चीज है, गणधर बनकर द्वादशांग वाणी का विस्तार-विवेचन करना और बात है, सबको यह सिद्धि प्राप्त नहीं होती है । पूज्य विदुषी आर्यिका ज्ञानमती में यह विशेषता है कि वे अपने हस्तगत ज्ञान को दूसरों के सामने करतलामलकवत् सुस्पष्ट रूप से रख सकती हैं। कठिन से कठिन विषयों को सरल बनाकर लोक के सामने रखने में आप सिद्ध भारत की राजधानी देहली में उन्होंने भगवान महावीर निर्वाण रजत शती वर्ष में दि० जैन त्रिलोक शोध संस्थान सदृश आवश्यक व अनिवार्य कार्य का जो नेतृत्व किया है वह अभिनन्दनीय है। उस त्रिलोक शोध-संस्थान भवन का यह महान कार्य कलश के रूप में सिद्ध होगा, माताजी का कार्य अनुपम है। दुरूह है. दुःसाध्य है, सर्वजनोपयोगी है। केवल उनके प्रति अनन्य भक्ति होने से ही दो शब्दपुष्प उन्हें समर्पित किये हैं। कल्याण भवन सोलापुर (महाराष्ट्र) वर्धमान पार्श्वनाथ शास्त्री १ जून १६७४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001548
Book TitleAshtsahastri Part 1
Original Sutra AuthorVidyanandacharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1889
Total Pages528
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size12 MB
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