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रसा - पृथ्वी | दारण - चीरनेकी क्रिया । सार - तीक्ष्ण । सीर - हल |
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नमामि - मैं नमस्कार करता हूँ, मैं वन्दन करता हूँ । वीरं - श्रीमहावीर प्रभुको । गिरि-सार- धीरं - मेरु- पर्वत जैसे
स्थिर |
भावावनाम - सुर- दानव -मानवेन - चूला - विलोल-कमलावलि - मालितानि - भक्तिपूर्वक नमन करनेवाले सुरेन्द्र, | दानवेन्द्र और नरेन्द्रोंके मुकुटमें स्थित चपल कमलश्रेणिसे पूजित ।
भाव - सद्भाव अथवा भक्ति ।
अवनाम-नमन । इन -
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अथवा
चपल ।
स्वामी । चूला - सिर शिखा । विलोल आवलि - श्रेणि । मालित पूजित | यह पद 'जिनराज - पदानि' का विशेषण है ।
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संपूरित - अच्छी तरह पूर्ण । अभिनत अच्छी तरह नमा हुआ । समीहित- अच्छी तरहसे इच्छित मनोवाञ्छित ।
कामं - बहुत, अत्यन्त । नमामि - मैं नमन करता हूँ । जिनराज पदानि - जिनेश्वरके चरणोंको । तानि-उन ।
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सुपद
,
बोधागाधं- ज्ञानद्वारा गम्भीर ।
बोध - ज्ञान । अगाध - गम्भीर ।
- पदवी - नोर पूराभिरामं - सुन्दर पद-रचनारूप जलके समूहसे मनोहर ।
सुपद - अच्छा पद । पदवीयोग्य रचना | पूर - समूह, अभिराम - सुन्दर । जीवाहिंसाविरल - लहरी संगमागाह - देहं - जीवदयाके सिद्धान्तोंकी अविरल लहरियोंके सङ्गमसे जिसका देह अतिगहन है ।
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अहिंसा - हिंसा से विरति । अविरल - संगम-मेल,
सङ्गम । निरन्तर । लहरी - तरङ्ग ।
ज्वार
संपूरिताभिनत - लोक - समोहितानि - जिनके प्रभावसे नमन करनेवाले लोगोंके मनोवाञ्छित | चूला - वेलं - चूलिकारूप
अच्छी तरह पूर्ण हुए हैं ।
वाला ।
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