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नवकोडिहि-नौ करोड़ । केवलीण - केवलियोंकी, सामान्य
केवलियोंकी ( संख्या ) | कोडि सहस्स - हजार
( दस अरब ) | नव-नौ ।
साहु - साधु साधुओं की (संख्या) । गम्मइ - जाने जाते हैं, होती है । संपइ - वर्तमानकालमें । जिणवर - जिनेश्वर, तीर्थङ्कर ।
करोड़
जयउ - जय हो ।
सामिय ! हे स्वामिन् !
रिसह ! श्री ऋषभदेव !
वीस-बीस |
मुणि-मुनि । Fag (f) -दो | कोडिहि करोड़ | वरनाणि - केवलज्ञानी । समणह - श्रमणोंकी ( संख्या ) | कोडि - सहस्स दुइ-दो हजार
करोड़ ( बीस अरब ) । थुणिज्जइ - स्तवन किया जाता है । निच्च - नित्य | विहाणि - प्रातः काल में ।
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सत्तु जि - शत्रुञ्जय गिरिपर । उज्जति - गिरनार पर्वतपर | पह नेमिजिण ! हे !
नेमिजिन
जयउ - आपकी जय हो ।
वीर ! - हे महावीर स्वामिन् ! हे वीर !
सच्चउर - मंडण !
प्रभो
! - सत्यपुर
( साँचोर) के शृङ्गाररूप । भरुअच्छाह मुणिसुव्वय !
भृगुकच्छ ( भरुच ) में विराजित मुनिसुव्रतस्वामिन् !
महुरि पास ! X - मथुरामें विराजित हे पार्श्वनाथ ! दुह - दुरिअ - खंडण ! - दुःख
और पापका नाश करनेवाले ! अवर - अन्य ( तीर्थङ्कर ) विदेहि-विदेह में - महाविदेह क्षेत्रमें । तित्थयरा - तीर्थङ्कर । चिg - चारों ।
दिसि विदिसि - दिशाओं और विदिशाओंमें |
जि-जो ।
के वि-कोई भी ।
X प्राचीन प्रतियोंमें यही पाठ मिलता है । विशेषके लिये देखो - प्र. टी. भा. १. ( द्वितीय आवृत्ति ) पृ. ३०० ।
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