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________________ ४० प्रश्न - श्रावकको एक अहोरात्रमें कितनी बार सामायिक करनी चाहिए ? उत्तर - अनेक बार । यदि परिस्थिति अनुकूल न हो, तो कम-से-कम एक बार सामायिक करनी चाहिए । प्रश्न- प्रतिदिन सामायिक करनेसे जीवनपर क्या प्रभाव पड़ता है ? उत्तर - प्रतिदिन सामायिक करनेसे जीवन शान्त और पवित्र बनता है । प्रश्न –— सामायिक में कितने दोषोंका परित्याग करना चाहिये ? उत्तर—बत्तीस । प्रश्न- उनमें मनके कितने ? वचनके कितने ? और कायके कितने ? उत्तर - मनके दस, वचनके दस और कायके बारह | 1 प्रश्न – मनके दस दोषों को दूर करनेके लिये क्या करना चाहिये ? - उत्तर - (१) आत्महित के अतिरिक्त अन्य विचार न करे । (२) लोक प्रशंसा करे, साधुवाद दे, ऐसी अभिलाषा न रखे । (३) सामायिकद्वारा धनलाभकी इच्छा न रखे । (४) दूसरोंसे अच्छी सामायिक करता हूँ, इसलिये मैं उच्च हूँ ऐसा अभिमान न रखे । (५) भयका सेवन न करे | (६) सामायिकके फलका बन्धन न करे | (७) सामायिकके फलमें संशय न रखे । (८) रोष रखकर सामायिक न करे । ( ९ ) अविनयसे सामायिक न करे । (१०) अबहुमान से सामायिक न करे । प्रश्न- - वचनके दस दोषों को दूर करनेके लिये क्या करना चाहिये ? उत्तर- (१) कटु, अप्रिय अथवा असत्य वचन न बोले । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001521
Book TitlePanchpratikramansutra tatha Navsmaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Sahitya Vikas Mandal Vileparle Mumbai
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year
Total Pages642
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Worship, religion, & Paryushan
File Size23 MB
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