SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 501
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४८४ बादमें 'सात लाख' और 'अठारह पापस्थानक 'का पाठ बोलना। इसके पश्चात् 'सव्वस्स वि देवसिअ दुच्चितिअ, दुब्भासिअ, दुच्चिट्ठिअ इच्छा०' कहना और ( गुरु कहें-'पडिक्कमेह' तब बोलना कि ) 'इच्छं, तस्स मिच्छामि दुक्कडं' फिर वीरासनसे बैठना और न आताहोतोदाँया घुटना ऊँचा रखना। फिर एक नमस्कार, 'करेमि भंते' सूत्र तथा 'अइआरालोअण' सुत्तके पाठ-पूर्वक 'सावग -पडिक्कमण'-सुत्त ( 'वंदित्तु' सूत्र ) बोलना। उसमें 'तस्स धम्मस्स केवलि-पन्नत्तस्स अब्भुट्टिओ मि' यह पद बोलते हुए खड़ा होना और अवग्रहसे बाहर निकलकर सूत्र पूरा करना। फिर द्वादशावत वन्दन करना। उसमें दूसरे वन्दनके समय अवग्रहमें खड़े हों, तब 'इच्छा० अब्भुट्टिओ मि अभितर देवसिअं खामेउं ?' कहकर गुरुको खमानेको आज्ञा माँगनी। गुरु कहें'खामेह' तब 'इच्छं' कहकर 'खामेमि देवसिअं' कहकर दाहिना हाथ० चरवलेपर रखकर 'जं किंचि अपत्तिअं' आदि पाठ बोलकर गुरुको खमाना। फिर अवग्रहसे बाहर निकलकर द्वादशावत-वन्दन करना और दूसरी बारका पाठ पूरा हो तब वहीं खड़े रहकर 'आयरिय-उवज्झाए' सूत्र बोलना और अवग्रहसे बाहर निकलना । (८) पाँचवाँ आवश्यक ( कायोत्सर्ग ) तदनन्तर 'करेमि भंते' सूत्र 'इच्छामि ठामि काउस्सग्गं जोमे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001521
Book TitlePanchpratikramansutra tatha Navsmaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Sahitya Vikas Mandal Vileparle Mumbai
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year
Total Pages642
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Worship, religion, & Paryushan
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy