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________________ ४२८ हलावतां, चलावतां, पंखी, चकला, काग-तणां इंडां फोड्यां । __अनेरा एकेन्द्रियादिक, जीव विणास्या, चाप्या, दुहव्या, काइ हलावतां, चलावतां, पाणी छांटतां, अनेरा कांइ काम-काज करतां निर्वसपणुं कीg, जीव-रक्षा रूडो न काधी, संखारो सूकव्यो, रूड्डु गलगुं न कोg, अणगल पाणी वावगुं, रूडी जयणा न काधी, अणगल पाणीए झील्या, लूगडां धोयां, खाटला तडके नाख्या, झाटक्या, जीवाकुल भूमि लिपी, वाशो गार राखो, दलणे, खांडणे, लिंपणे रूडी जयणा न कोधी, आठम, चउदसना नियम भांग्या, धूणी करावी । पहेले स्थूल-प्राणातिपात-विरमण व्रत-विषइओ अनेरो जे कोई अतिचार पक्ष-दिवसमांहि ॥ १।। बीजे स्थूल-मृषावाद-विरमण व्रते पांच अतिचारसहसा-रहस्स-दारे ॥ सहसात्कारे कुणह प्रत्ये अजुगतुं आल-अभ्याख्यान दीg, स्वदारा-मंत्रभेद कीधो, अनेरा कुणहनो मंत्र, आलोच, मर्म प्रकाश्यो, कुणहने अनर्थ पाडवा कूडी बुद्धि दीधी, कूडो लेख लख्यो, कूडी साख भरी, थापण-मोसो कीधा । ___ कन्या, गौ, ढोर, भूमि-संबंधी लेहणे-देहणे व्यवसाये वाद- .. वढवाड करतां मोटकुं जूठं बोल्या, हाथ-पगतणो गाली दीधी, कडकडा मोड्या, मर्मवचन बोल्या। बीजे स्थूल-मृषावाद-विरमण व्रत-विषइओ अनेरो जे कोई अतिचार पक्ष-दिवसमांहि० ॥२॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only • www.jainelibrary.org
SR No.001521
Book TitlePanchpratikramansutra tatha Navsmaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Sahitya Vikas Mandal Vileparle Mumbai
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year
Total Pages642
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Worship, religion, & Paryushan
File Size23 MB
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