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अत्यन्त आश्चर्यान्वित और सकल परिवार से क्
सम्मान की भा
आयर-आदर, वना । भूसिय- अलङ्कृत, युक्त, संभम - शीघ्रतापूर्वक । पिंडिय - एकत्रित । सुट्ठअच्छी तरह अत्यन्त । सुविम्हि - आश्चर्यान्वित । सव्व- सर्व, सकल । बलसैन्य, परिवार । ओध - समूह | उत्तम - कंचन - रयण -परूविय
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भासुर-भूसण- भासुरियंगा - - उत्तम जातिके सुवर्ण और रत्नोंसे बने हुए तेजस्वी अलङ्कारोंसे देदीप्यमान अङ्गवाले | कंचन - सुवर्ण । रयण - रत्न |
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परूविय बने हुए | भासुरतेजस्वी | भूसण - अलङ्कार | भासुरियंगा - देदीप्यमान अङ्ग
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गाय- समोणय-भत्ति - वसागयपंजलि - पेसिय-सीस पणामा - - शरीरद्वारा सम्यग् प्रकारसे नमे हुए, भक्तिके वशीभूत
होकर आये हुए अञ्जलिपूर्वक
नमस्कार करते हुए ।
तथा मस्तक से
गाय - गात्र, शरीर । समोणयअच्छी तरह नमे हुए । भक्ति-भक्ति ।
वस - काबू,
वश ।
आगय-आये हुए | पंजलि -अञ्जलि-पूर्वक । पेसिय
किया हुआ । सीस - मस्तक । पणाम, - प्रणाम, नमस्कार ।
वंदिऊण-वन्दन कर । थोऊण - स्तुति कर ।
तो - बादमें । जिणं-जिनको ।
तिगुणमेव - वस्तुतः तीनबार । य-और ।
पुणो- पुनः 1 पयाहिणं- प्रदक्षिणा देकर । पण मऊण - प्रणाम कर । य-और ।
जिणं-जिनको ।
सुरासुरा - सुर और असुर । पमुइया - प्रमुदित, हर्षित होकर | सभवणाई - अपने स्थानको । तो- तदनन्तर ।
गया-गये ।
तं - उन ।
महामुणि- महामुनिको । अहं पि- मैं भी । पंजली - अञ्जलि - पूर्वक |
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