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________________ २९० उत्तर-जिसमें चारों आहार तथा अफीम-तम्बाकू आदि अनाहारका भी प्रत्याख्यान किया जाय, उसको निरवशेष-प्रत्याख्यान कहते हैं । प्रश्न-सङ्केत-प्रत्याख्यान किसे कहते हैं ? उत्तर-जो प्रत्याख्यान किसी भी संकेतसे किया गया हो, उसको संकेत-प्रत्याख्यान कहते हैं। जैसे कि अँगूठा मुट्टीमें रखकर नमस्कार नहीं गिनूँ वहाँतकका प्रत्याख्यान, जहाँतक मुट्ठी बन्द रखकर नमस्कार न गिनें वहाँतकका प्रत्याख्यान आदि । प्रश्न-अद्धा-प्रत्याख्यान किसे कहते हैं ? उत्तर-जिसमें समयकी मर्यादा रखी गयी हो, उसको अद्धा-प्रत्याख्यान कहते हैं। इसके दस प्रकार हैं, वे इस तरह :(१) नमस्कार-सहित ( नमुक्कारसी अथवा नवकारसी )। (२) पौरुषी-सार्द्ध पौरुषी ( पोरिसी, साड्ढपोरिसी )। (३) पुरिमाध-अपार्ध ( पुरिमड्ढ, अवड्ढ ) । (४) एकाशन-द्वयशन ( एगासण, बियासण )। (५) एकलस्थान ( एगलठाण ) । (६) आयामाम्ल ( आयंबिल )। (७) उपवास ( चउत्थभत्त )। (८) चरिम ( चरिम )। (९) अभिग्रह ( अभिग्गह )। (१०) विकृतित्याग ( विगइका त्याग )। आधुनिक समयमें इन दस प्रत्याख्यानोंका ब्यवहार विशेष है । प्रश्न-कैसा प्रत्याख्यान विशेष फल देता है ? उत्तर--छः शुद्धिपूर्वक किया हुआ प्रत्याख्यान विशेष फल देता है, वह इस प्रकार :-स्पर्शना-अर्थात् उचित समय पर विधिपूर्वक प्रत्याख्यान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001521
Book TitlePanchpratikramansutra tatha Navsmaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Sahitya Vikas Mandal Vileparle Mumbai
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year
Total Pages642
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Worship, religion, & Paryushan
File Size23 MB
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