SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 306
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २८९ आनेसे पूर्व ही तपश्चर्याका प्रत्याख्यान करना, उसको अनागत प्रत्याख्यान कहते हैं। प्रश्न-अतिक्रान्त-प्रत्याख्यान किसे कहते हैं ? उत्तर-पर्व के दिनोंमें वैयावृत्त्य आदिके कारणसे जो तपश्चर्या न हो सकी हो तो वह बादके दिनोंमें करनी, उसको अतिक्रान्त-प्रत्याख्यान कहते हैं। प्रश्न-कोटिसहित-प्रत्याख्यान किसे कहते हैं ? उत्तर-उपवास आदि जो तपश्चर्या पूर्ण हो गयी हो, वैसी ही तपश्चर्या फिरसे करनेके प्रत्याख्यानको कोटिसहित-प्रत्याख्यान कहते हैं । प्रश्न-नियन्त्रित-प्रत्याख्यान किसे कहते हैं ? उत्तर--पहले जिस प्रत्याख्यानका सङ्कल्प किया हो, वह रोगादि कारणोंके उपस्थित होनेपर भी पूर्ण करना, उसको नियन्त्रित प्रत्याख्यान कहते हैं । ऐसा प्रत्याख्यान चौदहपर्वी, दसपूर्वी तथा जिनकल्पोंको होता है। प्रश्न-साकार-प्रत्याख्यान किसे कहते हैं ? उत्तर-प्रत्याख्यानमें आवश्यक आगार ( आकार ) रखे हों, उसको साकार--प्रत्याख्यान कहते हैं । प्रश्न-अनाकार-प्रत्याख्यान किसे कहते हैं ? उत्तर-जिस प्रत्याख्यानमें कोई आगार ( आकार ) नहीं रखे हों, उसको अनाकार-प्रत्याख्यान कहते हैं । प्रश्न-परिमाणकृत-प्रत्याख्यान किसे कहते हैं ? उत्तर-जिसमें दत्ती, कवल ( कौर ) अथवा घरकी संख्याका परिमाण हो, उसको परिमाणकृत-प्रत्याख्यान कहते हैं। प्रश्न-निरवशेष-प्रत्याख्यान किसे कहते हैं ? प्र-१९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001521
Book TitlePanchpratikramansutra tatha Navsmaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Sahitya Vikas Mandal Vileparle Mumbai
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year
Total Pages642
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Worship, religion, & Paryushan
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy