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________________ सूत्र-परिचय प्रतिक्रमण में छठे आवश्यकके अधिकार में जब पच्चक्खाण किये जाते हैं, तब इस सूत्र का उपयोग होता है । प्रत्याख्यान ( पच्चक्खाण ) २८८ प्रश्न प्रश्न -- प्रत्याख्यान क्या है ? उत्तर—आत्माको संयमगुणसे विभूषित करनेवाली एक प्रकारकी क्रिया । - प्रत्याख्यानका अर्थ क्या है ? - उत्तर—प्रत्याख्यान शब्द प्रति आ और ख्यान ऐसे तीन पदोंसे बना हुआ है । प्रति अर्थात् अविरतिसे प्रतिकूल, आ अर्थात् विरतिके अभिमुख और ख्यान अर्थात् कहना | तात्पर्य यह है कि अविरतिके प्रतिकूल और विरतिके अनुकूल ऐसा जो प्रतिज्ञारूप कथन है वह प्रत्याख्यान कहलाता है । प्रश्न – प्रत्याख्यान के पर्यायवाची शब्द कौनसे हैं ? - उत्तर — नियम, अभिग्रह, विरमण, व्रत, विरति आश्रवद्वार - निरोध निवृत्ति, गुणधारणा आदि । प्रश्न - प्रत्याख्यान कितने प्रकारका होता है ? जाय, उत्तर -- दो प्रकारका : - ( १ ) मूलगुण - प्रत्याख्यान और ( २ ) उत्तरगुणप्रत्याख्यान । उसमें मूलगुणके सम्बन्ध में जो प्रत्याख्यान किया उसको मूलगुण - प्रत्याख्यान कहते हैं और उत्तरगुणके सम्बन्ध में जो प्रत्याख्यान किया जाय, उसको उत्तरगुण प्रत्याख्यान कहते हैं । इनके भेद - प्रभेद ऊपर बतलाई हुई तालिकासे बराबर समझ में आ जायगा । प्रश्न -- अनागत- प्रत्याख्यान किसे कहते हैं ? उत्तर- पर्व के दिनोंमें ग्लान, वृद्ध आदिका वैयावृत्त्य हो सके तदर्थ पर्व Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001521
Book TitlePanchpratikramansutra tatha Navsmaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Sahitya Vikas Mandal Vileparle Mumbai
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year
Total Pages642
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Worship, religion, & Paryushan
File Size23 MB
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