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सूत्र-परिचय
प्रतिक्रमण में छठे आवश्यकके अधिकार में जब पच्चक्खाण किये जाते हैं, तब इस सूत्र का उपयोग होता है ।
प्रत्याख्यान ( पच्चक्खाण )
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प्रश्न
प्रश्न -- प्रत्याख्यान क्या है ?
उत्तर—आत्माको संयमगुणसे विभूषित करनेवाली एक प्रकारकी क्रिया । - प्रत्याख्यानका अर्थ क्या है ?
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उत्तर—प्रत्याख्यान शब्द प्रति आ और ख्यान ऐसे तीन पदोंसे बना हुआ है । प्रति अर्थात् अविरतिसे प्रतिकूल, आ अर्थात् विरतिके अभिमुख और ख्यान अर्थात् कहना | तात्पर्य यह है कि अविरतिके प्रतिकूल और विरतिके अनुकूल ऐसा जो प्रतिज्ञारूप कथन है वह प्रत्याख्यान कहलाता है ।
प्रश्न – प्रत्याख्यान के पर्यायवाची शब्द कौनसे हैं ?
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उत्तर — नियम, अभिग्रह, विरमण, व्रत, विरति आश्रवद्वार - निरोध
निवृत्ति, गुणधारणा आदि ।
प्रश्न - प्रत्याख्यान कितने प्रकारका होता है ?
जाय,
उत्तर -- दो प्रकारका : - ( १ ) मूलगुण - प्रत्याख्यान और ( २ ) उत्तरगुणप्रत्याख्यान । उसमें मूलगुणके सम्बन्ध में जो प्रत्याख्यान किया उसको मूलगुण - प्रत्याख्यान कहते हैं और उत्तरगुणके सम्बन्ध में जो प्रत्याख्यान किया जाय, उसको उत्तरगुण प्रत्याख्यान कहते हैं । इनके भेद - प्रभेद ऊपर बतलाई हुई तालिकासे बराबर समझ में आ जायगा ।
प्रश्न -- अनागत- प्रत्याख्यान किसे कहते हैं ?
उत्तर- पर्व के दिनोंमें ग्लान, वृद्ध आदिका वैयावृत्त्य हो सके तदर्थ पर्व
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