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पानोके अतिरिक्त अशन, खादिम और स्वादिमका अनाभोग, सहसाकार, पारिष्ठापनिकाकार, महत्तराकार और सर्व-समाधि-प्रत्ययाकार पूर्वक त्याग करते हैं ।
__ पानी-आहारका एक प्रहर ( अथवा डेढ़ प्रहर ) तक नमस्कारसहित, मुष्टि-सहित, अनाभोग, सहसाकार, प्रच्छन्नकाल, दिङ्मोह, साधु-वचन, महत्तराकार और सर्व-समाधि-प्रत्ययाकार-पूर्वक प्रत्याख्यान करता है।
पानीके-( आगार ):-लेप, अलेप, अच्छ, बहुलेप, ससिक्थ और असिक्थ ।
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(७) चउवि(हा)हार उपवास
( सूर्योदयसे लेकर दूसरे दिनके ) सूर्योदयतक उपवासका प्रत्याख्यान करता है। उसमें चारों प्रकारके आहारका अर्थात् अशन, पान, खादिम और स्वादिमका अनाभोग, सहसाकार, पारिष्ठापनिकाकार, महत्तराकार और सर्व-समाधि-प्रत्ययाकार-पूर्वक त्याग करता है।
(८) पाणहार
दिवसके शेष भागसे सम्पूर्ण रात्रि-पर्यन्त पानीके आहारका अनाभोग, सहसाकार, महत्तराकार और सर्व-समाधि-प्रत्ययाकारपूर्वक त्याग करता है।
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