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(३) चारित्राचारका पालन करे । (४) तपाचारका पालन करे।
(५) वीर्याचारका पालन करे। प्रश्न-और अन्य लक्षण क्या हैं ? उत्तर-सद्गुरु पाँच समिति और तीन गुप्तिका पालन करे । जैसे कि :
(१) चलनेमें सावधानी रखे। (२) बोलनेमें सावधानी रखे। (३) आहार-पानी लेनेमें सावधानी रखे । (४) वस्त्र, पात्र लेने-रखनेमें सावधानी रखे । (५) मल, मूत्र आदि परठवने ( परिष्ठापन ) में सावधानी रखे। (१) मनको पूर्णतया वशमें रखे । (२) वचनको पूर्णतया वशमें रखे । (३) कायको पूर्णतया वशमें रखे ।
इस प्रकारके ३६ गुणोंसे गुरु परखे जाते हैं तथा उनके चरणोंकी सेवा करनेसे जन्म सफल होता है।
३ थोभवंदरण-सुत्तं
[खमासमण-सूत्र ]
इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं. जावणिज्जाए निसीहिआए, मत्थएण वंदामि ॥
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