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२०६ (११) ॐ सर्वामरसुसमूह-स्वामिक-सम्पूजिताय शान्तिजिनाय
_ नमो नमः ॥ (१२) ॐ निजिताय शान्तिजिनाय नमो नमः ॥ (१३) ॐ भुवनजनपालनोद्यततमाय शान्तिजिनाय नमो नमः ॥ (१४) ॐ सर्वदुरितौघनाशनकराय शान्तिजिनाय नमो नमः ॥ (१५) ॐ सर्वाशिवप्रशमनाय शान्तिजिनाय नमो नमः ॥ (१६) ॐ दुष्टग्रह-भूत-पिशाच-शाकिनी-प्रमथनाय शान्ति
जिनाय नमो नमः ॥ ७ प्रश्न-इन नाम-मन्त्रोंसे क्या होता है ? उत्तर-इन नाम-मन्त्रोंवाले वाक्य-प्रयोगोंसे विजया-जयादेवी तुष्ट होकर
____ ऋद्धि-सिद्धि प्रदान करती हुई लोक-हित करती है। प्रश्न-शान्ति-स्तवमें विजया-जया देवीकी स्तुति किस प्रकार की गई है ? उत्तर-शान्ति-स्तवमें प्रथम विजया-जया-देवीकी नामस्तुति की गई है
और फिर मन्त्रस्तुति की गई है । प्रश्न-विजया-जया देवीकी नामस्तुतिमें क्या आता है ? उत्तर-विजया-जया देवीकी नामस्तुतिमें चौबीस नामोंके सम्बोधनपूर्वक
भय और उपद्रवसे रक्षण करनेकी और शान्ति, तुष्टि, पुष्टि और
स्वस्ति देने की प्रार्थना की जाती है। प्रश्न-वह किस प्रकार ? उत्तर-सातवीं गाथामें भगवती', विजया, सुजया३, अजिता, अप
राजिता', जयावहा और भवती" ये सात नाम आते हैं। आठवीं गाथामे 'भद्र-कल्याण-मङ्गल-प्रददे !' इस वाक्यसे भद्रा, कल्याणी' और मङ्गला' का सूचन होता है एवं · शिव-सुतुष्टि-पुष्टिप्रदे !' से शिवा'१, तुष्टिदा१२ और पुष्टिदा१३ का सूचन होता है।
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