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________________ १६७ उत्तर-पाँच प्रकारके:-(१) देवसिअ-दैवसिक, (२) राइअ-रात्रिक, (३) पक्खिअ-पाक्षिक, (४) चाउम्मासिअ-चातुर्मासिक और (५) संव च्छरिअ--सांवत्सरिक । प्रश्न-दैवसिक प्रतिक्रमण किसे कहते हैं ? उत्तर-जो प्रतिक्रमण दिवसके अतिचारोंके सम्बन्धमें किया जाय, उसको दैवसिक-प्रतिक्रमण कहते हैं। यह प्रतिक्रमण सायंकालमें किया जाता है। प्रश्न-रात्रिक प्रतिक्रमण किसे कहते हैं ? उत्तर-जो प्रतिक्रमण रात्रिके अतिचारोंके सम्बन्धमें किया जाय, उसको रात्रिक-प्रतिक्रमण कहते हैं । यह प्रतिक्रमण प्रातःकालमें किया जाता है। प्रश्न-पाक्षिक प्रतिक्रमण किसे कहते हैं ? उत्तर--जो प्रतिक्रमण पक्षके अतिचारोंके सम्बन्धमें किया जाय, उसको पाक्षिक-प्रतिक्रमण कहते हैं। यह प्रतिक्रमण चतुर्दशीके दिन सायंकालको किया जाता है। प्रश्न-चातुर्मासिक प्रतिक्रमण किसे कहते हैं ? उत्तर-जो प्रतिक्रमण चातुर्मासमें लगे हुए अतिचारोंके सम्बन्धमें किया जाय, उसको चातुर्मासिक-प्रतिक्रमण कहते हैं। यह प्रतिक्रमण कार्तिक शुक्ला चतुर्दशी, फाल्गुन शुक्ला चतुर्दशी और आषाढ़ शुक्ला चतुर्दशीके दिन सायङ्कालको किया जाता है । प्रश्न-सांवत्सरिक प्रतिक्रमण किसे कहते हैं ? उत्तर-जो प्रतिक्रमण संवत्सर अर्थात् वर्ष के अतिचारोंके सम्बन्धमें किया जाय, उसको सांवत्सरिक प्रतिक्रमण कहते हैं। यह प्रतिक्रमण भाद्रपद शुक्ला चतुर्थी के दिन सायङ्कालको किया जाता है। प्रश्न-प्रतिक्रमण करना आवश्यक कब होता है ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org .
SR No.001521
Book TitlePanchpratikramansutra tatha Navsmaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Sahitya Vikas Mandal Vileparle Mumbai
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year
Total Pages642
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Worship, religion, & Paryushan
File Size23 MB
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