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प्रश्न- सामान्य श्रावक--धर्म किसे कहते हैं ? उत्तर--मार्गानुसारीके पैंतास बोलोंका पालन करना, सामान्य श्रावक
धर्म कहलाता है। प्रश्न-मार्गानुसारीके पैंतीस बोल कौनसे हैं ? उत्तर-वे इस ग्रन्थके पीछे उपयोगी विषयोंके सङ्ग्रहमें दिये हैं। प्रश्न-मार्गानुसारीके पैंतीस बोलोंका पालन करनेसे क्या होता है ? उत्तर-मार्गानुसारीके पैंतीस बोलोंका पालन करनेसे व्यवहारकी शुद्धि होती
है, नीतिका स्तर उच्च होता है और विशेष श्रावक-धर्मके पालन
की योग्यता आती है। प्रश्न-विशेष श्रावक धर्म किसे कहते हैं ? उत्तर सम्यक्त्वमूल बारह व्रतोंके पालनको विशेष श्रावकधर्म कहते हैं । प्रश्न-सम्यक्त्वमूल अर्थात् ? उत्तर-जिसके मूलमें सम्यक्त्व स्थित हो, वह सम्यक्त्वमूल । प्रश्न-सम्यक्त्व किसे कहते है ? उत्तर-तत्त्वद्वारा अर्थकी श्रद्धा करनी, उसे सम्यक्त्व कहते हैं । प्रश्न-तत्त्व अर्थात् ? उत्तर-तत्त्व अर्थात् भाव । प्रश्न-अर्थ-अर्थात् ? उत्तर-अर्थ--अर्थात् जीव, अजीव, पुण्य, पाप, आश्रव, संवर, निर्जरा,
बन्ध और मोक्ष । तात्पर्य यह है कि जीवाजीवादि नव तत्त्वोंपर
हदयसे श्रद्धा रखनी, यह सम्यक्त्व है । प्रश्न-सम्यक्त्वका व्यावहारिक स्वरूप क्या है ? उत्तर-सुदेव, सुगुरु और सुधर्मपर श्रद्धा। प्रश्न-सूदेव किसे कहते हैं ?
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