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________________ १६१ उत्तर - अरिहन्त भगवन्तको सुदेव कहते हैं, क्यों कि वे सर्व दोषोंसे कहते हैं, क्यों कि उनमें रहित हैं । सिद्ध भगवन्तको भी सुदेव भी कोई दोष नहीं है । प्रश्न --- सुगुरु किसे कहते हैं ? उत्तर—जो स्वयं तिरें और दूसरोंको तारें उनको सुगुरु कहते हैं । उनके मुख्य लक्षण पाँच महाव्रत, पाँच आचार तथा पाँच समिति और तीन गुप्तिका पालन है । प्रश्न -- सुधर्म किसे कहते हैं ? उत्तर- -जो केवली भगवन्तद्वारा कथित हो उसको सुधर्म कहते हैं । प्रश्न - बारह व्रतोंके नाम क्या हैं ? उत्तर- (१) स्थूल प्राणातिपात विरमण व्रत | (२) स्थूल - मृषावाद - विरमण-व्रत । (३) स्थूल - अदत्तादान-विरमण व्रत । (४) परदारागमन - विरमण-व्रत । (५) परिग्रह - परिमाण - व्रत | (६) दिक्-परिमाण - व्रत | (७) उपभोग - परिभोग - परिमाण - व्रत | (८) अनर्थदण्ड - विरमण-व्रत । ( ९ ) सामायिक- व्रत | (१०) देशावकाशिक- व्रत | (११) पोषधोपवास-व्रत । (१२) अतिथि- संविभाग- व्रत | प्रश्न- इन व्रतोंके कितने विभाग होते हैं ? प्र - ११ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001521
Book TitlePanchpratikramansutra tatha Navsmaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Sahitya Vikas Mandal Vileparle Mumbai
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year
Total Pages642
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Worship, religion, & Paryushan
File Size23 MB
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