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१३५ बुड्ढी -वृद्धि, बढ़ जानेसे । पढमम्मि-गुणव्वए-पहले गुणसइ-अंतरद्धा-स्मरण न रहनेसे, व्रतमें । __ भूल जानेसे।
निदे-मैं निन्दा करता हूँ।
अर्थ-सङ्कलना
(अब मैं दिक्परिमाणवतके अतिचारोंकी आलोचना करता हूँ।) उसमें ऊर्ध्वदिशामें जानेका प्रमाण लाँघनेसे, तिर्यग् अर्थात् उत्तर दक्षिणके मध्यकी दिशामें जानेका प्रमाण लाँघनेसे, क्षेत्रका प्रमाण बढ़ जानेसे अथवा क्षेत्रका प्रमाण भूल जानेसे पहले गुणव्रतमें जो अतिचार लगे हों, उनकी मैं निन्दा करता हूँ।। १९ ।।
मजम्मि अ मंसंम्मि अ, पुप्फे अ फले अ गंध-मल्ले अ। उवभोग-परीभोगे, बीअम्मि गुणव्वए निंदे ॥ २० ॥
शब्दार्थ
मज्जम्मि-मद्यके विषयमें, मदिरा । गंध-मल्ले-गन्ध और माल्यके (की विरति ) में।
विषयमें। अ-और।
गंध-केसर, कस्तूरी आदि मंसम्मि-मांसके विषयमें, मांस सुगन्धी पदार्थ। ( की विरति ) में ।
माल्य-फूलकी माला आदि अ-तथा ।
शृङ्गार। पुप्फे-फूलके विषयमें।
अ-और। अ-और। फले-फलके विषयमें।
उवभोग-परीभोगे-उपभोगअ-और।
परिभोग करने में ।
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