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सोना-चाँदीके अतिरिक्त वस्तुएँ । दुपअ-दो पैरवाले, दास-दासी कुप्य कहलाती हैं । शृङ्गार- । और पक्षी। चउप्पय-चार सज्जा आदिका समावेश भी
पैरवाले, हाथी, घोड़ा, उँट इसी विभागमें हो जाता है ।
आदि। दुपए-चउप्पयम्मि-द्विपद और
य-और। चतुष्पदके विषयमें, द्विपदचतुष्पद - प्रमाणातिक्रमके
पडिक्कमे देसि सव्वं-- विषयमें ।
पूर्ववत् अर्थ-सङ्कलना
धन-धान्यका, क्षेत्र-वास्तुका, सोना-चाँदीका, अन्य धातुओंका तथा शृङ्गार-सज्जाका और मनुष्य, पक्षी तथा पशुओंका प्रमाण उल्लङ्घन करनेसे दिवस-सम्बन्धी छोटे-बड़े जो अतिचार लगे हों, उन सबसे मैं निवृत्त होता हूँ॥ १८ ।।
मूल
गमणस्स य परिमाणे, दिसासु उड्ढं अहे अतिरिक्षं च । बुड्ढी सइ-अंतरद्धा, पढमम्मि गुणव्वए निंदे ॥ १९॥ शब्दार्थ--
गमणस्स-गमनके, जाने-आनेके।। य-और। परिमाणे-परिमाणके विषयमें । दिसासु-दिशाओंमें । उड्ढ-ऊर्ध्व दिशामें जानेका
प्रमाण लाँघनेसे। अहे-अधोदिशामें जानेका प्रमाण
लाँघनेसे ।
अ-और । तिरिअं-तिर्यदिशामें जानेका
प्रमाण लाँघनेसे। ऊर्ध्व और अधोदिशाका मध्य
भाग तिर्यदिशा कह
लाता है। च-और।
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