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य - ललाटको स्पर्श करते हुए बोला जाता है ।
ज - अनुदात्त-स्वरसे बोला जाता है और उसी समय गुरु-चरणकी स्थापनाको दोनों हाथोंसे स्पर्श किया जाता है ।
त्ता-स्वरित स्वर से बोला जाता है और उस समय चरण स्थापना से उठाये हुए हाथ रजोहरण और ललाटके बीच में चौड़े करनेमें आते हैं ।
भे - उदात्त स्वर से बोला जाता है और उस समय दृष्टि गुरुके समक्ष रखकर दोनों हाथ ललाटपर लगाये जाते हैं । ज - अनुदात्त - स्वरसे, चरणस्थापनाको स्पर्श करते हुए बोला जाता है । च - स्वरित - स्वरसे, मध्य में आते हुए हाथ चौड़े करके बोला जाता है ।
णि - उदात्त - स्वरसे, ललाटको स्पर्श करते हुए बोला जाता है । ज्ज - अनुदात्त - स्वरसे, चरण-स्थापनाको स्पर्श करते हुए बोला जाता है ।
च - स्वरित - स्वरसे, मध्यमें आते हुए हाथ चौड़े करके बोला जाता है ।
भे— उदात्त - स्वरसे, ललाटको स्पर्श करते हुए बोला जाता है ।
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३० जीवहिंसा - प्रालोयणा [ 'सात लाख ' -सूत्र ]
सात लाख पृथ्वीकाय, सात लाख अप्काय, सात लाख तेजकाय,
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