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शब्दार्थपणिहाण- जोग-जुसो- चित्त- । एस-यह, इस तरह ।
की समाधि-पूर्वक । | चरित्तायारो-चारित्राचार। पंचहि समिईहि-पाँच समि- | तियोंका।
अट्ठविहो-आठ प्रकारका। तोहिं गुत्तोहि-तीन गुप्तियोंका हाइ-हाता है। ( पालन )।
| नायव्वो-जानने योग्य । अर्थ-सङ्कलना
चित्तकी समाधि-पूर्वक पाँच समिति और तीन गुप्तियोंका पालन, इस तरह चारित्राचार आठ प्रकारका जानने योग्य होता है।।४।। मूल
बारसविहम्मि वि तवे, सभितरे-बाहिरे कुसल-दिडे । अगिलाइ अणाजीवी, नायव्वो सो तवायारो ॥५॥ शब्दार्थबारसविहम्मि-बारह प्रकारका । ' अगिलाइ अणाजीवी – ग्लानिवि-भी।
रहित और आजीविकाके हेतु तवे-तपके विषयमें, तप ।
विना। सभितर - बाहिरे - अभ्यन्तर
सहित बाह्य, बाह्य और नायव्वो-जानना। अभ्यन्तर ।
सो-वह । कुसल - दिटे - जिनेश्वरोंद्वारा कथित ।
| तवायारो-तपाचार। अर्थ-सङ्कलना
जिनेश्वरोंद्वारा कथित बाह्य और अभ्यन्तर तप बारह प्रकारका
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