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२५ भगवदादिवन्दनसूत्रम्
[ 'भगवानहं-सूत्र ] मूल
भगवानहं, आचार्यह, उपाध्यायहं, सर्वसाधुहं ॥ शब्दार्थ-- भगवानहं-भगवन्तोंको। | उपाध्यायह-उपाध्यायोंको । आचार्यह-आचार्योंको। | सर्वसाधुहं-सर्व साधुओंको । अर्थ-सङ्कलना
भगवन्तोंको वन्दन हो, आचार्योंको वन्दन हो, उपाध्यायोंको वन्दन हो, सर्व साधुओंको वन्दन हो । सूत्र-परिचय
भगवान्, आचार्य, उपाध्याय और साधुओंको थोभवन्दन करनेके लिये इस सूत्रका उपयोग होता है। इस सूत्रके चारों पदोंमें अपभ्रंशभाषाके नियमानुसार षष्ठीके बहुवचनका हं प्रत्यय लगा हुआ है और वन्दन हो अर्थ अध्याहारसे लिया गया है।
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