________________ अन्वय-नमि अश्विन्यां संजातः अम्बिकाय॑ः नेमिः च रिष्टये अष्टम केवली अष्टावतारी अपराजितात् च // 13 // अर्थ-नेमिनाथ भगवान अश्विनी नक्षत्र में उत्पन्न हुए। अम्बिका देवी द्वारा अर्चित नेमिनाथ भगवान हैं। कल्याण के लिए अपराजित देवलोक में आठ अवतार जिनके पूर्ण हुए थे, वे नेमिनाथ भगवान कल्याण के लिए हैं। नेमिनाथ भगवान के आठ शिष्य परम्परा तक कैवलज्ञानी हुए हैं। अश्वसेनसुतः प्राप्तो-ऽष्टमेनैवानगारताम् / केवली च प्रभुः पार्थो-ऽनन्तनागेन्द्रसेवितः // 14 / / अन्वय-अश्वसेनसुतः अष्टमेनैव अनागारतां प्राप्तः केवली पार्श्वप्रभुः अनन्त नागेन्द्रसेवितः // 14 // अर्थ-अश्वसेनजी के पुत्र अट्ठम में ही साधु बनने वाले तथा केवलज्ञान प्राप्त करनेवाले पार्श्वनाथ प्रभु अनन्त नागेन्द्र ( नागकुमार देवताओं का इन्द्रो) से सेवित हैं। अमराचलकम्पेन धैर्ययेनाददे ततः। अव्ययोऽभूदपापायां वीरः पायादपायतः // 15 // अन्वय-अमराचलकम्पेन येन धैर्य आददे (ततः अपापायां अव्ययः अभूत वीरः अपायतः पायात् / / 15 / / अर्थ-मेरु पर्वत को कम्पित करने वाले धैर्यशाली वीर भगवान हैं। जिन्होंने अपापा नगरी में मोक्ष पाया ऐसे वीर भगवान विघ्नों से रक्षा करें। अर्हन्तः स्युरदःप्रकारचरितात् सर्वेऽप्यकारस्वरे / ध्येयाः केवलशालिनः श्रुतधेरैराकारयोगे स्मृताः // एकोहन भगवान् परा-परतयाऽनेकेपि चाकारतः / सर्वज्ञास्तदिमे समे विदधतां नर्मल्यमस्मशः // 16 // द्वात्रिंशत्तमोऽध्यायः 291 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org