________________ देवी सरस्वती नाम्ना-धिष्ठात्री श्रुतदेवता। तस्या ब्रह्मेन्द्र एवान्यमते गणपतिः सुरः // 17 // अन्वय-नाम्ना देवी सरस्वती अधिष्ठात्री श्रुतदेवता तस्य ब्रह्मा एव इन्द्र अन्यमते गणपति सुरः // 17 // . अर्थ-सरस्वती नामकी यह श्रुतज्ञान की अधिष्ठात्री देवी है इसका स्वामी ब्रह्मा है पर अन्य मत के अनुसार इसके स्वाभी गणपति देव हैं। देवा लोकान्तिकास्तस्या वश्याः सारस्वतादयः / स्वरव्यंजनरक्षायै यक्षास्तच्छक्तयः पराः // 18 // अन्वय-सारस्वतादयः लोकान्तिका देवा तस्याः वश्याः स्वरव्यञ्जनरक्षायै यक्षाः तस्याः पराः शक्तयः // 18 // अर्थ-सारस्वत आदि लोकान्तिक देव इस लिपि देवता के वशवर्ती हैं। इसके स्वर व्यञ्जन की रक्षा करने के लिए यक्ष उसकी परा शक्तियाँ हैं। जगतः पालनाद्विश्व-व्याप्तासौ शक्तिरूपिणी। मातृका गीयते श्वेताम्बरनिष्ठाऽर्थसाधनी // 19 // अन्वय-असौ शक्तिरूपिणी श्वेताम्बर निष्ठा अर्थसाधनी मातृका जगतः पालनात् विश्वव्याप्ता // 19 // अर्थ-शक्तिरूपिणी श्वेत खड़िए से लिखी जाने वाली (श्वेतवस्त्रधारिणी) सर्वार्थ सिद्ध करने वाली यह मातृका जगत् का पालन करने के कारण विश्वव्याप्त है अर्थात् समग्र विश्व में इसका संचार है। भगवद्वदनाम्भोजे राजहंसीव दीव्यति / शुद्धवर्णा पदे रक्ता-ऽध्यक्षा मौक्तिकदर्शनी // 20 // भईदगीता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org