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अर्थ-राज्यनीति, यवनों के आचार (ज्योतिष शास्त्र) के अध्ययन चिन्तन में, स्थापन उत्थापन की क्रिया में एवं तीर्थ यात्रा की इच्छा में मन लगने पर उसमें शुक्रवार मानना चाहिए ।
हिंसायामनृते क्रूरकार्ये चौर्यादिकर्मणि । द्यूतादेरिच्छया मान्ये ज्ञेयं मंदमयं मनः ॥ १४ ॥
अन्वय-हिंसायां अनुते क्रूरकार्ये चौर्यादिकर्मणि द्यूतादेः इच्छया मान्ये मनः मंदमयं ज्ञेयं ॥१४॥
अर्थ-हिंसा की प्रवृत्ति में, झूठ बोलने में, घातक कार्य में, चौर्य कर्म में जुआ एवं मन्दता में मन के रमने पर उसमें शनिवार जानना चाहिए।
अश्विनीच्छावशाद्गत्यां याम्यं रोगेऽर्थ संग्रहे । व्रते तपसि वाग्नेयं ब्राम्यं स्यात् पाठशौचयोः ॥१५॥ मृगाच्चापल्यमार्द्रायां स्नाने पानेऽम्बुवर्षणे । पुनर्वसू धनोत्पादे पुष्यः पोषणकर्मणि ॥ १६ ॥
अन्वय-गत्यां इच्छावशात् अश्विनी रोगे अर्थसंग्रहे याम्यं व्रते तपसि वा आग्नेयं ब्राह्म्यं स्यात् पाठशौचयोः ॥ १५॥
अन्वय-मृगात् चापल्यं आर्द्रायां स्नाने पाने अम्बुवर्षेणे धनोत्पादे पुनर्वसू पोष्यकर्मणि पुष्यः ।। १६॥
अर्थ-गमन की इच्छा अर्थात् यात्रादि में रूचि होने पर अश्विनी नक्षत्र, रोग में तथा अर्थ संग्रह में भरणी (यम देवता), व्रत एवं तप में कृतिका (अग्निदेव), अध्ययन एवं पवित्रता में रोहिणी (ब्रह्मदेव), चपलता में मृगशीर्ष व स्नान, पान व अम्बुवर्षण में आर्द्रा, धनार्जन में पुनर्वसु तथा मोषण कर्म में मन की भावना होने पर पुष्य नक्षत्र होता है। ...... प्रयोदशोऽध्यायः
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